Tuesday, September 1, 2009

हे ब्लागर भगवान हमें बचाओ तुम महान

हे ब्लागर भगवान
हमें बचाओ तुम महान
बनाओ एक अच्छा इंसान
यहां धर्म की लड़ाई में
गिर रहे हैं खाई में
मैं बच्चा नादान
समझ नहीं पाता धर्म महान
यहां दाल-रोटी, जिंदगी नहीं
उस एक सर्वशक्ति की बंदगी नहीं
हे ब्लागर भगवान
हमें बचाओ तुम महान

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यहां मुफ्त प्रचार का पूरा है इंतजाम
अभय, संबल का काम तमाम
हे ब्लागर भगवान
हमें बचाओ तुम महान
मैं नहीं चाहता कोई वार
बस चाहता हूं छोटा संसार
छोटा संसार ब्लाग की दुनिया का
जहां चाहूं अपना बिना टेंशन कोना का
तुम्ही अब हो रखवाले,
करो कोई विचार तुम ऊपरवाले

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बकवास बहस के बीच
अखबारों में छपती फिल्मी सितारों की खबरों के बीच
बस यही एक बचा था संसार
जहां हम आते थे छोड़ संसार
पर निशाने पर किसी के
आ गया है पूरा घरबार
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डरता हूं किसी की बुरी नजर से
तड़पती, बेचैनी, कांपती धड़कनों से
चाहता हूं बनना एक अच्छा इंसान
सब जिये अपना धर्म महान
हे ब्लागर भगवान
हमें बचाओ तुम महान

4 comments:

Shiv said...

बहुत सुन्दर कविता. बधाई.

Udan Tashtari said...

इतनी वंदना की है ब्लॉगर भगवान की कि सभी को निश्चिंतता हो गई. आभार. :)

Chandan Kumar Jha said...

बहुत सुन्दर..........ब्लागर भगवान सभी को आशीश दें. आभार.

दिनेशराय द्विवेदी said...

बहुत अच्छे! आप की सोच की दिशा की दाद देनी पड़ेगी।
बाबा तुलसी ने कहा -परहित सरिस धरम नहीं भाई!
सभी मनुष्यों को एक समान समझने जैसा कोई धरम नहीं है।

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