सबके कल्याण के लिए मां का आगमन हो चुका है। आज की ये पोस्ट किसी भी अन्य पोस्टों से अलग होगी। क्योंकि ये उस शक्तिस्वरूपा की वंदना को लेकर है, जो सबसे अलग हैं। जिनकी दया से हमारा जीवन संचालित होता है। मां की दया, मां की कृपा, मां के स्नेह से ये जगत चलायमान है। मां के असीम आशीर्वाद के बल पर ही आज हम प्रगति के पथ पर अग्रसर हैं। बचपन से मन कहीं एकाग्र होने के लिए, थिर होने के लिए लक्ष्य खोजता रहता है। बाद में जब व्यक्ति को उस सर्वशक्ति दैवी स्वरूप का भान होता है, तो वह स्थिर हो जाता है। उसके आगे उसके सिर झुकने लगते हैं। कोई आस्तिक या नास्तिक हो सकता है, लेकिन कभी न कभी उसे उस शक्ति का एहसास हो ही जाता है। अब चाहे आप उसे किसी भी रूप में लें। सबके मन को जाननेवाली मां को नमस्कार है। नमस्कार उस जननी को, जिनकी दया सब पर बनी रहती है। मां से विश्व,
हर घर और हर व्यक्ति के मन में शांति मांगता हूं और कहता हूं कि मां इस विचलित मानव समाज को अब भी तो जाकर धैर्य धारण कराओ, नहीं तो ये तुम्हारी अद्भुत रचना खुद को उद्वेग के आवेग में नष्ट कर डालेगी। मां हमारा मार्गदर्शन करें। .
Sunday, September 20, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
2 comments:
दूर्गापूजा की शुभकामनायें ।
"ॐ जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते॥"
शुभकामनायें ।
Post a Comment