जिंदगी की जंग हार गये लोगों के लिए ये दिवाली एक उम्मीद छोड़ गया। ये उम्मीद कि एक चिराग अंधेरे में रौशनी कर देता है। हताशा से भरे जीवन में नयी आशा की लौ जगाने का संदेश देकर गया है दिवाली। बहुत से लोग सिर्फ घरों में दीये जलाते हैं, लेकिन उनके मन का कोना अंधेरे में डूबा रहता है। द्वंद्वों से जूझता मन अजीब सी दुनिया में जीता रहता है। उस अजीब सी दुनिया से निकलने का रास्ता बेहतर सोच से ही संभव है। बेहतर सोच दूसरे धर्म या व्यक्ति के लिए।
ज्यादातर लोग दिवाली में पटाखे छोड़, मिठाई खाकर सोने चले जाते हैं। उनके लिए अगला दिन भी अन्य दिनों की तरह ही रहता है। वही थकान से बोझिल मन रफ्तार पकड़ने की कोशिश करता है। जरूरत ये समझने की है कि आखिर हम मन को बेहतर सोच के साथ क्यों नहीं तालमेल रखने के लिए प्रेरित करते हैं। हमारा सकारात्मक चिंतन का नाश क्यों हो जाता है?
व्यक्तिगत जीवन में भी हर पर्व और त्योहार यूं ही आकर चला जाता है और हम पुरानी लकीर पीटते दिखाई देते हैं। उसमें अगर बेहतर सोचने रखने की छोटी सी पहल हो, तो पर्व के साथ हमारा जीवन भी सार्थक होगा।
आज बस ये छोटी पोस्ट इस उम्मीद के साथ अगली दिवाली तक आप बेहतर जिंदगी के साथ आगे बढ़ते रहेंगे।
2 comments:
सार्थक पोस्ट ।
जिन्दगी की जंग जारी है जीते जाने के लिए।
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