Monday, November 9, 2009

कोड़ा जी, झारखंड की छवि, दोषी जनता



कोड़ा की कहानी अब फिल्मी गलियारे को छूती हुई ब्रह्मांड की ओर अग्रसर है। झारखंड त्रिशंकु विधानसभा का दंश झेलते हुए घोटालों का इतिहास रच रहा है। यहां के निर्दलीय मंत्री लगातार भ्रष्टाचार के आरोप में घिरते जा रहे हैं। कोड़ा को बेचारगी के भाव या कहें मजबूरी में सीएम बनाया गया। एक पार्टी विशेष ने इसे खुला समर्थन भी दिया। उसके नेता लगातार भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए चिल्लाते रहे, लेकिन कोड़ा सरकार चलती रही। झारखंड की सड़कों पर चलिएगा, तो कुहकते हुए आपकी गर्दन टेढ़ी हो जाएगी। उसमें कोड़ा बार-बार याद आएंगे। कोड़ा के चार हजार करोड़ रुपये की कहानी अब आंखों पर बल नहीं डालती और न माथे पर शिकन। यहां इस स्थिति के लिए जनता भी दोषी है। जनता लगातार त्रिशंकु विधानसभा का निर्माण करती है और निर्दलीय मंत्री बनकर लाभ उठाते हैं। राज्य की समस्याओं को लेकर कहीं से कोई आवाज उठती नहीं दिखती। यहां पर समाज को विभाजित करनेवाले मुद्दों को लेकर कोहराम मचते देखा है। सड़कों पर उन्माद देखा है, लेकिन विकास के लिए आवाज उठानेवालों की फौज नहीं दिखती। इस राज्य का भविष्य कैसा होगा? ये सवाल कोई नहीं पूछता। इस राज्य पर तो भाजपा और कांग्रेस, दोनों ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर शासन किया, वैसे में भी वे फिर से सुशासन लाने की बातें कर रहे हैं। प्रश्न ये है कि इन पर भरोसा कैसे किया जाए। घोटालों के बीच राजनीतिक उदासीनता की ये कहानी जनता सुन-सुनकर ऊब चुकी है। कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा। घोटालों के आरोपी कहते हैं कि उन्हें फंसाया जा रहा है। अगर फंसाने का मामला सही है, तो फिर मामला क्या है? जो भी हो, राज्य की छवि मटियामेट हो गयी है।

1 comment:

अजय कुमार झा said...

हां अब लग रहा है कि झारखंड ...बिहार से अलग होकर बना था ..दोनों सी एम ..बिल्कुल एक जैसा काम कर गये..लालू एंड कोडा...बहुत या थोडा...किसी को नहीं छोडा .....

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