जरा सोचिये -----------
१. जूते की जगह चप्पल का प्रयोग किया जाये
२. तीन कपड़ों को ही बदल-बदल कर पहना जाए
३. मांसाहार का त्याग किया जाए
४. फिल्में न देखें, चैनल देखकर संतोष किया जाए
५.दस किमी तक की यात्रा पैदल की जाए
६. बीमार होने पर खुद से ही ठीक होने के उपाय किए जाएं
७.सरकारी अनुदान के लिए मौका तलाशा जाए
८.बढ़ोत्तरी स्कीमों में पैसों को लगाया जाए.
ऊपर की चीजों को अपनाने के फायदे भी सुन लिजिए -
-पैदल चलेंगे, तो खुद ब खुद फिट रहेंगे
-पैसे जो बचेंगे, उनसे आप कई योजनाओं को मूर्त रूप अगले साल दे सकते हैं।
-मासांहार का त्याग कर आप महान आत्मा की श्रेणी में शामिल हो जाएंगे
-आपका जनसंपर्क बढ़ेगा, क्योंकि दूसरों पर निर्भरता, आपको उनकी आपके जीवन में जरूरतों के बारे में बताएगा।
-आप जानेंगे कि दूसरे आपके जीवन के लिए कितना महत्वपूर्ण हैं। आप उनकी महत्ता को स्वीकारेंगे।
-स्वकेंद्रित होते जीवन से बहुकेंद्रित जीवन की ओर आपके कदम बढ़ेंगे।
-जीवन में खुशियां आएंगी।-
-चिंता तो कभी द्वार पर भी नहीं आएगी, क्योंकि इसके लिए वक्त नहीं होगा।
यहां थोड़ा दार्शनिक हो गया। लेकिन जीवन में दर्शन भी जरूरी है। वैसे भी जब उपभोक्तावाद के चरम पर सोच रहे हैं, तो गैर-उपभोक्तावाद के भी चरम पर भी सोचना होगा। जीवन के हर पहलू को सोचना चाहिए। इससे फायदा हो या नुकसान, लेकिन राह तो निकलती मालूम पड़ती है। चाहे कैसी भी निकले, अच्छी या बुरी।
No comments:
Post a Comment