Wednesday, January 20, 2010
इंडियन पॉलिटिक्स, तुझे क्या हुआ मेरे भाई
इंडियन पॉलिटिक्स, तुझे क्या हुआ मेरे भाई। तुझे किसकी नजर लग गयी। तुझमें वह रौनक क्यों न रही, जो पहले थी, मेरे भाई। बहस और मुद्दों के बीच तनाव, ड्रामा और मैनिपुलेशन सारा कुछ था। अब तो सारा कुछ वन साइडेड है। भगवा पार्टी के प्रमोद महाजन चले गए, उसके साथ इडियट बॉक्स पर भगवा पार्टी को रिप्रेजेंट करनेवाला एक बड़ा व्यक्तित्व चला गया। उसके बाद से सारा कुछ फीका-फीका रहा। आडवाणी जी की साइट को हिट तो बहुत मिले, लेकिन वोट कम गए। हार गए आडवाणी जी। बड़ी दिक्कत है। अमर जी शेरो शायरी तुकबंदी कर रौनक कायम रखते थे, लेकिन वह तो नाराज होकर चल दिए दूसरी ओर। लालू जी का भी ग्लैमर खो गया है। ममता दीदी एक्शन पर एक्शन ले रही हैं। अब तो सुना है कि पूरा टिकट कटाकर ही ट्रेन में चलना होगा। सुशासन बाबू सीधा सपाट बात करते हैं और पुरस्कार भी बटोर रहे हैं। राहुल जी खद्दर का कुर्ता-पजामा पहनकर ग्लैमर को और फीका कर रहे हैं। अमिताभ बच्चन आए भी थे, तो फिर हाथ जोड़ दिए। बड़ा दिक्कत है। इडियट बॉक्स पर कोई धमाका नहीं दिखता। ऐसा लगता है कि सारा कुछ पहले से सेट है। कहीं कोई धमाल नहीं हो रहा। बीच में झारखंड में कोड़ा जी लाइम लाइट में आए थे, लेकिन फिर से सादगी आ गयी है। शिबू जी, सीधे बतियानेवाले ठहरे। मिलाजुला कर ग्लैमर विहीन हो गया है इंडियन पॉलिटिक्स। खो गयी है चमक। गडकरी जी तो कुछ खास बोलते नहीं। विवाद भी नहीं होता। पॉलिटिक्स में कुछ होना चाहिए। कुछ ऐसा कि बहस को दिशा मिले। जब सबकुछ ऐसे ही चलता रहेगा, तो हो गया...
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
2 comments:
न उमा भारती और माया जी कमाल दिखा रही हैं...सब कितना सूना सूना है... :)
सटीक चोट।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
Post a Comment