Thursday, January 28, 2010
क्रिकेट को हमारे खून में जबरदस्ती ऐसे मिलाने की कोशिश हुई है, जैसे यही हमारी जिंदगी है।
बिजनेस मैन शुद्ध रूप से बिजनेस करता है। वह पैसा कमाना चाहता है। जिस दिन आइपीएल के बहाने क्रिकेट पैसे के महासमुद्र के चक्कर में फंस गया, उस दिन लगा कि इस देश ने बड़ी गलती की है। आज क्रिकेट क्रिकेट नहीं रह गया है। यह हमारी विदेश नीति के साथ घरेलू नीति प्रभावित करता है। आइपीएल के लिए पाकिस्तानी क्रिकेट खिलाड़ियों की बोली नहीं लगी। लोग स्तब्ध तो नहीं थे, लेकिन यूं कहें, कुछ खराब जरूर लग रहा था। पाकिस्तानी खिलाड़ी भी कुछ नहीं कह सके। उनके जज्बात उन्हें क्या कहने के लिए कहते। उनमें भी क्षमता है। लेकिन कुछ अनजाने डर से टीमों के मालिकों ने उन पर दांव नहीं खेला। ये किस बहाने हुआ, ये अलग बात है। लेकिन सवाल ये है कि इससे क्या प्रभावित हो रहा है? एक बात कहें, तो बुरा न मानिएगा, क्रिकेट मैच के लिए वैसी दीवानगी नहीं रही। न वैसा कमिटमेंट। अगर २०-२० भी चलता रहे, तो दिलचस्प न हुआ, तो लोग फिल्में देखना पसंद करेंगे। क्रिकेट को हमारे खून में जबरदस्ती ऐसे मिलाने की कोशिश हुई है, जैसे यही हमारी जिंदगी है। हमारी दीवानगी इसके प्रति थी, लेकिन ये हमारी जिंदगी नहीं थी। अमूमन खेल कमिटमेंट और कुछ हद तक प्रेम के कारण खेला जाता है। लेकिन यहां प्रेम तो प्रोफेशनलिज्म की भेंट चढ़ गया। अब क्रिकेट खतरनाक हो चला है। सरकार कुछ कर नहीं सकती और हम कुछ कह नहीं सकते। सुरक्षा के नाम पर आइपीएल बाहर होता है, तो अब सुरक्षा के नाम पर पाकिस्तान के खिलाड़ियों को लिया ही नहीं जाता। क्रिकेट कुछ हद तक बासी होता जा रहा है। इसे बार-बार चमकी में पिरो कर पेश करने की कोशिश हो रही है। ये ज्यादा दिनों तक चलनेवाला नहीं है। क्योंकि आइपीएल के बहाने ये लोगों के दिलों पर वार करता है। एक क्रिकेट प्रेमी को शाहिद अफरीदी उसी तरह से बेहतर लगते हैं, जैसे तेंदुलकर। ऐसे में अगर किसी बहाने पाकिस्तान खिलाड़ियों के दिलों को चोट पहुंचती है, तो इससे आम क्रिकेट प्रेमी भी प्रभावित होता है और उसका प्रेम भी। ये प्रेम अगर प्रभावित हो गया, तो क्रिकेट पैसे का खेल कैसे रह जाएगा।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
5 comments:
साधुवाद
बिल्कुल ठीक. सप्लाई भरपूर कर दो डिमान्ड अपने आप बन जायेगी, फार्मूले पर ये लोग चल रहे हैं.
बिल्कुल ठीक. सप्लाई भरपूर कर दो डिमान्ड अपने आप बन जायेगी, फार्मूले पर ये लोग चल रहे हैं.
बिल्कुल ठीक. सप्लाई भरपूर कर दो डिमान्ड अपने आप बन जायेगी, फार्मूले पर ये लोग चल रहे हैं.
क्रिकेट कुछ हद तक बासी होता जा रहा है। इसे बार-बार चमकी में पिरो कर पेश करने की कोशिश हो रही है। ये ज्यादा दिनों तक चलनेवाला नहीं है।
---------
अच्छा लगा यह पढ़ कर।
Post a Comment