Tuesday, March 9, 2010

विनीत की ये बात हजम नहीं हुई...

हमें विनीत का लिखा अच्छा लगता है। लेकिन विनीत शायद सोप ओपेरा या सीरियलों को बाजार का केंद्र सिद्ध करने में लग गये हैं। हम सीधे सवाल करना चाहेंगे कि ये सोप ओपेरा ने क्या बाजार की ठेकेदारी ले ली है। एक बात कहना चाहूंगा कि मीडिया का कोई भी अंग समाज से अलग नहीं है। वह एक बहुत बड़े भाग को प्रभावित करता है। उसमें अगर सिर्फ करोड़पतियों को ही दिखाया जाता है और किसान या गंवई किस्म के लोगों के परवाह नहीं की जाती, तो ये एक बड़ी जनता की बेइज्जती है। अगर बात कहने को हो, तो हम ये भी कह सकते हैं कि चैनल भी बाजार के हिसाब से हैं, तो उसमें भी वे ही चीजें दिखाई जाएंगी, जो कि बाजार निर्धारित करती है। आखिर पैसा भी तो सबकुछ नहीं है। हम संतई की बात नहीं करते। हम गुंडई की बात भी नहीं करते। हम सोप ओपेरा के बहाने दिमागी कसरत को कुंद करने की कवायद को मिटाने पर जोर डालना चाहते हैं। जस्सी सीरियल को याद करें। जस्सी सीरियल हिट हो गई थी। उस किरदार को सीरियल में सब नफरत करते थे, लेकिन दर्शकों का एक बड़ा वर्ग जस्सी के लिए बेचैन रहता था। उसी जस्सी के स्टारडम को मोना सिंह आज भुना रही हैं। हम वैचारिक गरीबी के जिस अंधे कुएं में फंसे हुए हैं, वहां पर संत भाषा का कोई प्रभाव नहीं होनेवाला है। विनीत लगता है कि सोप ओपेरा और चैनलों पर रिसर्च करते हुए ये भूल गए हैं कि सीरियल या फिल्म बनानेवाले भी समाज के लिए जिम्मेदार होते हैं। जैसे हमसे अपेक्षा की जाती है कि हम ब्लागर देश के लिए जिम्मेवार बनें तो हम भी सीरियल निर्माताओं से अपेक्षा करते हैं कि वे जनता की भावनाओं का आदर करें। सीरियलों के बहाने जिस कौतुक और कल्पना से भरे अवास्तविक दुनिया का दर्शक निर्माण करते हैं, उसका समाज पर भी काफी बुरा प्रभाव पड़ रहा है। समाज के चिंतक तेजी से हो रहे बदलावों को लेकर परेशान हैं। हमारा मुद्दा ये था कि स्त्रीत्व, सच्चाई और ईमानदारी के बड़े-बड़े संदेश देनेवाले सीरियल भी स्त्री विमर्श के  बहाने जिम्मेदार बनें। क्योंकि जितने स्वस्थ और उच्च स्तर की गुणवत्ता होगी, उतना ही बेहतर सोच समाज में विकसित हो पायेगा। और सीरियलों के बहाने ये कम से कम संभव दिखता है। विनीत को एक बात कहना चाहूंगा कि काफी कुछ चीजें बाजार से अलग भी होती हैं। उन्हें लेकर हमेशा बहस नहीं की जा सकती। इसी ब्लाग पर विनीत को मैंने राह दिखानेवाला कहा था, लेकिन आज उसकी बातों को लेकर सही स्थिति को रखना मजबूरी हो गयी है।

1 comment:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

TiVI me faaltoo ke serials ke siva kya aata hai, yadi discovery wagairah ko chhod diya jaaye to..

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