Friday, March 19, 2010

बरमूडा संस्कृति, भारतीय संस्कृति के रक्षक, ये सवाल

ब्लाग जगत में भारतीय संस्कृति के रक्षकों के बारे में पढ़कर इतना डर गया कि बरमूडा पहनें की नहीं, ये सवाल बार-बार घूम रहा था। एक सवाल ये बार-बार घूम रहा है कि स्त्री क्या पहनें या नहीं पहनें, इस पर इतना कुछ लिखा गया, लेकिन पुरुषों का पहनावा क्या हो, ये सवाल कोई नहीं करता। भारतीय संस्कृति माननेवाले पुरुषों को क्या धोती या जो स्थानीय कपड़े हैं, वे नहीं पहनने चाहिए। इसी संदर्भ में ये बात दिमाग में कौंधती है कि आज-कल जो ये बरमूडा फैशन चल निकला है, उस बारे में भारतीय संस्कृति के तथाकथित मठाधीशों की क्या राय है? हमारी तो ये स्थिति है कि बरमूडा में ही पूरी दुनिया की सैर हो जाती है। न कोई रोकनेवाला, न कोई टोकनेवाला। बरसात में कपड़ों में फुलपैंट पहनने पर हमेशा गंदे होने का खतरा रहता है, लेकिन बरमूडा में कीचड़ दूर-दूर तक छू भी नहीं पाता। गरमी में तो क्या कहने। सिर्फ जाड़े में ठंडी हवा से दिक्कत होती हैं, लेकिन धूप सेंकते समय विटामिन डी का पैरों की त्वचा खूब सेवन करती है। अब ऐसे में भारतीय संस्कृति के रक्षक मठाधीश सहुलियत के नाम पर पहने जाने लगे इस वस्त्र के खिलाफ आज तक आवाज नहीं उठाते। भाई, ये तो दोहरी नीति है। नारी पहने तो हाय-हाय और पुरुष पहने तो वाह-वाह। बरमूडा के साथ अब टी शर्ट भी हावी हो गये हैं जिंदगानी पर। इसे लेकर संस्कृति रक्षक कमर नहीं कसते। बड़ी मुश्किल है। बरमूडा में टेंशन आउट हो जाता है। इसे लेकर ज्यादा कुछ कहने की जरूरत नहीं। सीधे पहनों और एलास्टिक मजबूती के साथ कमर पर पकड़ मजबूत बना लेगी। वही धोती में लटपटाने का खतरा, तो फुलपैंट में क्रीज के टूट जाने का। यानी जिंदगी सपाट और मस्त अंदाज में बिंदास बितानी हो, तो बरमूडा को अपनाना जरूरी है। अब इसके बाद संस्कृति रक्षक ये भी कह सकते हैं कि बरमूडा में इतना ही अच्छा लगता है, तो कल को बिना बरमूडा के और अच्छा लगेगा। लेकिन उस हद तक जाने के लिए हमें सौ जन्म लेने पड़ेगा। वैसे हम बरमूडा संस्कृति को अपना चुके हैं। अब तो या सर फूटे या कुछ हो, देखा जायेगा।

4 comments:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

अब इन्हें क्या आर०एस०एस० का नया अवतार कहा जायेगा.

मुनीश ( munish ) said...

whatever u say in defence of bermuda, it looks ugly . Proper half-pants are better .

कृष्ण मुरारी प्रसाद said...

विचारणीय.....
............

विश्व गौरैया दिवस-- गौरैया...तुम मत आना....http://laddoospeaks.blogspot.com

Udan Tashtari said...

स्थान एवं समयानुरुप पहनावा ठीक रहता है.

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