Thursday, March 25, 2010

अमिताभ राजनीतिकों से क्यों रखें संबंध?

अमिताभ जब गुजरात के ब्रांड अंबेस्डर हो जाते हैं या फिर मुंबई के सी लिंक के उद् घाटन समारोह में भाग लेते हैं, तो अखबारों के पन्ने बयानबाजी, अंतरविरोधों से भर उठते हैं। सवाल ये है कि आखिर अमिताभ राजनीतिक कार्यक्रमों या राजनीतिकों से क्यों संबंध रखें। ये सीधा सवाल इसलिए कि हम लोग भी अमिताभ के इन विवादों से उकता गये हैं। अमिताभ की सबसे बड़ी पहचान उनका कलाकार होना है। अब इन अंतिम सालों में इतने सारे विवादों के बीच उनकी सुनहरी पृष्ठभूमि कुछ दागदार होने लगती है। कभी भाषा विवाद हो, कभी यूपी में मुलायम सिंह के साथ रिश्ते रखने या जमीन रखने का विवाद हो या फिर गुजरात के ब्रांड अंबेस्डर बनने का, सीधे विरोधियों के निशाने पर होते हैं। इतने सारे संकटों को झेलने के बाद कोई भी शरीफ या नफासत पसंद आदमी एक दायरा खींचकर उसमें रहना चाहेगा। इन सारे विवादों के केंद्र में अमिताभ का होना, ये भी इंगित करता है कि कहीं ये अमिताभ की मजबूरी तो नहीं। आज का बाजार अभी भी अमिताभ को सर आंखों पर बैठाता है। वैसे में प्रचार का दामन थामने के लिए हर थोड़े अंतराल पर विवाद उनकी प्रसिद्धि में इजाफा ही करता है। लेकिन बुजुर्ग हो चुके अमिताभ के लिए ये क्या ठीक है? दो कौड़ी की औकात रखनेवाले नेता बयानबाजी करते हैं। हम अमिताभ फैन होने के कारण इख खटपट से दुखी हैं। हम तो अमिताभ से बस एक बेहतर फिल्म देने की ख्वाहिश रखते हैं। इन नाहक विवादों में अमिताभ को शामिल होकर क्या मिलेगा? ऐसे में उन्हें राजनीतिकों से संबंध रखने की क्या जरूरत है?

3 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

निर्भर करता है, किसे किसकी आवश्यकता है ।

कृष्ण मुरारी प्रसाद said...

अमिताभ को लेकर इतना ववाल क्यों ?

आपको निमंत्रण मिले तो नहीं जायेंगे ?.
अमर के साथ "दोस्ती" का सम्मान गलत है?
"यु.पी." के मूल निवास होकर ब्रांड एम्बेसडर बनाए जाने पर क्यों इनकार करें ?
"महाराष्ट्र" उनकी कर्म भूमि है..."पुल" की महता समझते हैं.
"गुजरात" के पर्यटन को बढ़ावा देना क्या "राष्ट्र हित" में नहीं है ?

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

कांग्रेस द्वारा बिना मतलब का हौवा फैलाया जा रहा है.

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