Wednesday, April 7, 2010
चिदंबरम पीछे नहीं हटें..
ये देश एक जंग लड़ रहा है। लगता है, जैसे अभी शुरुआत है। एक शब्द कहेंगे, चिदंबरम पीछे नहीं हटें। ये नक्सली सीधे रास्ते, अनुनय-विनय और दया की बातें नहीं जानते। इन पर दया दिखाना इस देश को अंधेरे में झोंकना है। नक्सल पर बहस अब सीमा को पारकर चुकी है। ७६ जानें, कोई मामूली जानें नहीं थी। अगर एक व्यक्ति पर पांच व्यक्ति भी निर्भर था, तो इससे ३८० लोगों के जीवन में अंधकार और दुख का साया मंडराने लगा है। हमारा सीधा सवाल, इन नक्सलियों और तथाकथित आंदोलनकारियों और पिछड़े लोगों के हिंसात्मक संघर्ष को समर्थन देनेवालों से है। इतने बड़े जनसंहार के बाद भी क्या नक्सली माफी योग्य हैं? बंगाल के मुख्यमंत्री जब चिदंबरम को देश संभालने की हिदायत दे रहे थे, तो वे शायद भूल गये थे कि चिदंबरम देश के संदर्भ में ही बात कर रहे थे। लेकिन गुरिल्ला वार को लेकर जैसी ट्रेनिंग चाहिए, उसमें क्या सीआरपीएफ सक्षम है, ये एक बड़ा सवाल है। इस तरह की मौत कोई नहीं चाहता। कहीं न कहीं तो चूक हुई है। हजार लोगों के आने की आहट को जवान नहीं पकड़ सके। इन जवानों को घेरकर मारा गया है। बड़ी दर्दनाक है। इन मौतों ने इस बार सारी संवेदनाओं को मार दिया है। आंसू सूख चुके हैं और मन में तड़प खत्म हो चुकी है। अब एक ही लक्ष्य हो, नक्सलियों को उन्हीं की भाषा में जवाब दिया जाये। इन नक्सलियों ने देश के अंदर एक देश बना दिया है।
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3 comments:
निश्चित ही इनके खिलाफ कठोर से कठोर कदम उठाने की आवश्यक्ता है.
जब आग फैल रही थी, सर तक कम्बल ढके सो रहे थे सब । अब जब घर तबाह होने लगे तो वही लोग फू फा में जुट गये । भान अब सबको हो गया है अब कि ताकत झोंकनी पड़ेगी और वह भी नक्सलवाद के आमूलचूल विनाश तक । भ्रम में तो कोई भी नहीं अब । दुख असह्य यह है कि 76 आत्माओं की आहुति यह ज्ञान जागृत करा पायी ।
पूरे देश में नक्सल वाद फैलने वाला है और देश गृहयुद्ध की भट्टी में जलने वाला है..
शोषण, पक्षपात, अन्याय, गरीबी, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, नेताओं का देश को विध्वंस करने का रवैया
अफसरों का राजाओं जैसा व्यवहार
कानून को पंगु बनाने वाले लोग...
माननीय बहुत जल्द यह पूरे देश में फैलेगा बस चेहरे अलग होंगे.
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