Tuesday, April 6, 2010
ये रिश्ते, जाने-अनजाने
आपने ये महसूस किया है कि हममें और आपमें एक सनक रहती है ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाने की। लेकिन ये पैसा एक सीमा के बाद मायने नहीं रखता। कई लोगों के पास ढेर सारा पैसा है, लेकिन खुशी का दो शब्द बोलनेवाला कोई नहीं होता। अंतिम समय में कोई ऐसा नहीं होता है, जो आगे बढ़कर ये आश्वस्त करे कि वह अंतिम यात्रा पर जाने के पहले साथ रहेगा। हमारे लिये सफलता की परिभाषा बदल गयी है। सफल वही है, जिसके पास संबंधों का खजाना हो और जीवन के उतार के समय उसे संभालने के लिए कई हाथ एक साथ बढ़ें। हमने महसूस किया है कि आगे बढ़ने की होड़ में एक-दूसरे की संवेदनाओं को मसलने का खेल ज्यादा दिनों तक नहीं चलता। इस सांप-सीढ़ी के खेल में कब कौन आगे आ जाये और कब कौन पीछे, कोई नही जानता। ऐसे में कोई राजनीति काम नहीं देती। काम देते हैं तो वैसे सच्चे दोस्त ही, जो आपको सही या बुरे की पहचान कराते चलें। आप खुद से सवाल पूछिये, तो आप पायेंगे कि कोई आपका दोस्त आपके अपने सगे भाई से बढ़कर सहयोग करता और साथ निभाता मिलेगा। आज-कल तो बिजनेस का पाठ पढ़ाया जाता है। हर चीज को नाप-तौल कर चलने की आदत डाली जा रही है। लेकिन क्या किसी सुनामी के समय कोई सिस्टम काम करता है। उस सुनामी के बाद जो हाथ संभालने को आगे बढ़ते हैं, उन हाथों के मालिक ही सच्चे दोस्त कहलायेंगे। पता नहीं क्यों, इन रिश्तों का अहसास कहीं दब सा गया था। लेकिन जब फेसबुक पर रिश्तों की घोषणा करते पाता हूं, तो लगता है कि रिश्तों के खेल में हम बेईमानी कर रहे हैं। सच्चे रिश्ते दिखावा या घोषणा करना नहीं मानते। न उनके लिए बोली लगायी जाती है। जब आप एकांत में हों, तो आपको उस रिश्ते का स्नेह भरा स्पर्श हमेशा गुदगुदाता महसूस होगा। जैसे कि किसी छोटे बच्चे ने आपके सिर पर हल्की सी थपकी दी हो और आप लपक कर उसे दुलार करने के लिए आगे बढ़े हों। उम्र के साथ मेरे लिये रिश्ते की अहमियत गाढ़ी होती जा रही है।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
2 comments:
पैसा कमाने की होड़ मध्यम वर्ग में सिर्फ इन्सिक्योरिटी के कारण है..
प्राथमिकतायें जितनी जल्दी निर्धारित हो जायेंगी, जीवन में उतना ही सुकून रहेगा ।
Post a Comment