Saturday, May 15, 2010
आज का ये चिंतन
जब जिंदगी में ऐसा कुछ अनचाहा हो, जो नहीं होना चाहिए था, तो कई सवाल आने लगते हैं। मीडिया जैसी फील्ड में भी ऐसा होना लाजिमी है। जिंदगी का हिसाब-किताब एक जैसा नहीं रहता। लोग एक जैसे नहीं रहते। वैसे में जो हम आज हैं, वह कल नहीं रहेंगे। और जो कल थे, वैसे आज नहीं रहते। इस लिहाज से जो अनुभव हमने जमा किया है, उसमें एक बात समझ में आती है कि लोगों के पास सलाह देने का काम सबसे ज्यादा होता है। आपको क्या करना चाहिए, कैसा रहना चाहिए और किस लिहाज से चलना चाहिए, इसके बारे में लोग आपको सलाह देंगे। ऐसी परिस्थिति में आदमी के पास अपना जैसे कुछ नहीं होता, सिवाय इसके कि वह खुद पर विश्वीस करे। शायद यही विश्वास काम भी देता है। ये विश्वास उसे दिलासा देता है कि वह चाहे कितनी भी तकलीफें आये, सही रास्ते पर आये। थोड़ी देर के लिए आयी ये बाधा भी टल जायेगी। ये आशा हमें डिगने नहीं देता। हमें अपने ख्वाब पूरे करने के लिए ताकत देता है। सकारात्मक चिंतन की जो धारा लगातार निकलती रहती है, उसका इस्तेमाल किस ओर किया जाये, ये अहम है। मैंने भी हजारों ख्वाब देखे, लेकिन वे अब तक पूरे नहीं हुए। हो सकता है कि कुछ समय बाद वे पूरे हो जायें। जिंदगी का हर सबक मुझे और भी मजबूत बनाता जाता है। शायद नये सिरे से शुरुआत करने को कहता है। कहते हैं न कि जिंदगी में कभी अंत नहीं होता। ये चलता रहता है। आज का ये चिंतन शायद व्यक्तिगत दर्शन को लिये हुए हो, लेकिन जैसे लगा कि हर किसी के जीवन में ऐसा होता होगा। जैसे कोई हॉस्टल की जिंदगी को छोड़कर अचानक दांपत्य जीवन शुरू कर दे। कोई पत्रकारिता का पेशा छोड़कर विशुद्ध व्यवसायी बन जाये और कोई राजनीतिक धर्मात्मा बन जाये। अचानक आया परिवर्तन एक ऐसे एहसास को जन्म देता है, जहां खुद के विकास की शुरुआत शून्य से होती है।
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1 comment:
बहुत अच्छा लगा यह पढ़कर..
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