Thursday, June 10, 2010
लंबे इंतजार ने न्याय की उम्मीदों को दफन कर दिया
भोपाल गैस त्रासदी को लेकर मीडिया पूरी मेहनत कर रहा है. लेकिन ये मेहनत वैसे ही लग रहा है, जैसा कोई स्टूडेंट एग्जाम से एक रात पहले करता है. आज की मीडिया के पास सबकुछ है, लेकिन भोपाल हो या दिल्ली, वहां की मीडिया ने इन सब बातों का पहले खुलासा क्यों नहीं किया? हमारी न्यायिक प्रक्रिया की एक त्रासदी है कि मामले इतने दिनों तक चलते हैं. अगर जिंदा रहते न्याय नहीं मिलता है, तो फिर न्याय की बात करना बेकार है. रह-रह कर सोचता हूं , तो पाता हूं कि एंडरसन को लेकर सरकार के सामने कैसी परिस्थितियां उत्पन्न हुई होंगी। एक मल्टीनेशनल कंपनी का सदस्य और अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश के नागरिक एंडरसन को लेकर क्या और किसी प्रकार से नीतियां बनायी गयी होंगी. हमारी सरकार में मामलों को लेकर धीमी गति जगजाहिर है. वैसे में भोपाल गैस कांड को लेकर सरकार बचाव और दोषी को सजा दिलाने की मुहिम को लेकर संतुलन बनाते हुए चलती रही. जाहिर तौर पर पूरा मामला उसी डिप्लोमैसी का शिकार हो गया, जैसा सरकार, चाहे किसी भी दल की हो, चाहती थी. बिना किसी समस्या के मामले को सलटा देने की चाहत. मीडिया अब तत्कालीन डीएम के बयान के आधार पर कब्र खोदने की कोशिश में लगा है. सुना है कि एंडरसन अमेरिका में रईसी की जिंदगी गुजार रहा है. हमारे द्वारा हल्ला मचाने का क्या परिणाम निकलेगा, क्या एंडरसन यहां लाया जा सकेगा या फिर दोषियों को सजा दिलाने के लिए लंबी बहसवाली लंबी न्यायिक प्रक्रिया अगले २० सालों तक चलेगी? इतने लंबे इंतजार ने न्याय की उम्मीदों को दफन कर दिया है.
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5 comments:
पूरी की पूरी व्यवस्था ही सड़ चुकी है ,क्या कहा जा सकता है |
क्या आपको लगता है कि भ्रष्टाचार की व्यवस्था के अतिरिक्त कोई अन्य व्यवस्था ठीक-ठाक चल रही है.
इस प्रकरण में न्याय की जगह अन्याय ही समझ में आता है ... आखिर क्या कारण है की मुख्य अपराधी खुलेआम अमेरिका में है .... न्याय व्यवस्था भी संदेह की परिधि में आ रही है ....
We are so helpless !
after judegment come why media make this big issue, this judgement is already fix when police and ministers file this case in very weak dhara's,
media ko pehle usi time aawaz uthani chaiye thii jab kamjor dhaaraao may is case ko file kiya gaye ...jedgement of daaraaao ke anusaar hi hota hay
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