Wednesday, July 21, 2010

राजनीति के बहाने छिछोरेपन का नंगा नाच

कल मेरे दोस्त की बेटी ने पापा से पूछा-अंकल टीवी पर आंटी गमला क्यों फेंक रही हैं. दोस्त ने उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा-बेटे उनका दिमाग खराब हो गया है. 

वे यह नहीं बता सके कि ये बिहार विधानसभा के बाहर की तस्वीरें हैं. ये जनता की चुनी गयी प्रतिनिधियों में से एक हैं. इनके  सहारे हमारा शासन चलता है. बिहार के नौजवान बाहर जाने पर धिक्कारे जाते हैं. उन्हें बिहारी संबोधन गाली जैसा लगता है. 

अब जब टीवी पर जनप्रतिनिधियों के द्वारा विधानसभा में चप्पल फेंकने और गमला फेंकने की घटना सरेआम दिखाई जा रही है, तो यहां की संस्कृति को लेकर बिहार के लोग किस दम पर अपने अनोखे होने का दावा कर सकते हैं.

जब बिहार से तथागत जैसे लड़के पूरे देश में बिहार राज्य का नाम रौशन कर रहे हैं, तो उसके बीच बिहार के जनप्रतिनिधि इमेज की लुटिया डुबोने में लगे हैं. शासन तंत्र कोई लाठी चलाने से नहीं आता, ये समझ लेना चाहिए. लालू प्रसाद के दस सालों के कार्यकाल में किस प्रकार का विकास हुआ, ये जगजाहिर है. उसमें अब नीतीश सरकार के शासन के चार साल गुजरने के बाद विपक्ष फिर से उग्र अंदाज में सक्रिय हुआ है. लेकिन बातें तब तार्किक लगेंगी, जब विपक्ष अपनी बातों को तरीके से रखे.

बिहार को आगे ले जाना सारे लोगों का सामूहिक दायित्व है. लेकिन राजनीति के बहाने छिछोरेपन का नंगा नाच कितना उचित है. ये हमारे राजनेता सोच कर देखें.

1 comment:

शरद कोकास said...

आज यह चित्र सभी अख़बरों में छपा है और सभी बच्चे अपने माँ-बाप से यही सवाल कर रहे हैं । हम क्या कहें हम सभी निरुत्तर है ।

Prabhat Gopal Jha's Facebook profile

LinkWithin

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

अमर उजाला में लेख..

अमर उजाला में लेख..

हमारे ब्लाग का जिक्र रविश जी की ब्लाग वार्ता में

क्या बात है हुजूर!

Blog Archive