Thursday, September 30, 2010

इलेक्ट्रानिक मीडिया का रोल बर्दाश्त से बाहर

आज मुझसे आप बोलिये कि आप अभी के फैसले से कैसा महसूस करते हैं. तो मैं एक साधारण आदमी कहूंगा-खुश हूं. आगे जो हो, लेकिन अभी तो सबको कुछ न कुछ हिस्सा मिला है. लेकिन मीडिया के चंद लोग अब फैसले की खाल खींचने लगे हैं. ये एक ऐसा मुद्दा है, जिस पर आप न जाने कितनी भी बहस कर लें, खत्म होने को नहीं है. एक अंगरेजी चैनल में एक साहब को बुलाया गया, तो उन्होंने मंदिर और मस्जिद की बातें छेड़ दी कि दोनों बने साथ. ऐसी बयानबाजी सुनकर खून खौल उठता है.
जब सारा तमाशा खत्म करने के लिए एक फैसला आया है, तो फैसले पर तमाशा खड़ा किया जा रहा है. भारत के इलेक्ट्रानिक मीडिया को खासकर पूरी तरह नियंत्रण प्रणाली में डाल देना उचित है. आज के दौर में कुछ अंगरेजीदां चैनल चंद नामित समाज के ठेकेदारों को बुला कर जो धर्मनिरपेक्षता का राग अलापना शुरू कर देते हैं, वे उस सारे सौहार्द्र के माहौल को बिगाड़ने का काम कर देते हैं, जो कुछ नेता नहीं कर पाते. भला मानिये की प्रिंट मीडिया ने अपने हर पन्ने में अनेकता में एकता का राग अलापा है. लेकिन इलेक्ट्रानिक मीडिया बहस को धार देने की कोशिश कर रहा है.
खुद को कानून से ऊपर रखने और जजमेंट पर उंगली उठानेवाला अंगरेजी मीडिया क्या इस देश का सच्चा हितैषी होगा, ये देखना वाजिब है. अब हाइकोर्ट ने जो जजमेंट दिया है, उस पर थोड़े अंतराल के बाद बहस की जाए, तो मामला कुछ साफ होगा. इलेक्ट्रानिक मीडिया का रोल बर्दाश्त से बाहर है.

3 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

राम का अस्तित्व या तो इन विधर्मियों की समझ से परे है या इनके आकाओं का अंकुश है इन पर।

काशिफ़ आरिफ़/Kashif Arif said...

आपकी बात सही है...लेकिन वो बैठे किसलिये है उन्हे पैसे ही इस बात के मिल रहे है....

============
"हमारा हिन्दुस्तान"

"इस्लाम और कुरआन"

Simply Codes

Attitude | A Way To Success

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

मीडिया के बारे में सुरेश चिपलूनकर जी का एक आलेख है, जिसमें उन्होंने मीडिया चलाने वालों के बारे में बताया है. स्वामीभक्ति तो निभाई ही जायेगी.

Prabhat Gopal Jha's Facebook profile

LinkWithin

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

अमर उजाला में लेख..

अमर उजाला में लेख..

हमारे ब्लाग का जिक्र रविश जी की ब्लाग वार्ता में

क्या बात है हुजूर!

Blog Archive