Saturday, October 16, 2010

मेरे छोटे भाई प्रणव ने एक कविता लिखी. कुछ ऐसा कि आपको भी पसंद आए.. और हमें भी.

मेरे छोटे भाई प्रणव ने एक कविता लिखी. कुछ ऐसा कि आपको भी पसंद आए.. और हमें भी.

परिचित

By Pranav Gopal Jha · Thursday
कभी  चिंतित,कभी विचलित,
कहीं सीमित कहीं विस्मित
तेरे नयनों से परिचित,
कभी लालित ,कभी उद्वेलित,
कभी पुलकित कभी कम्पित,
तेरे अधरों से परिचित,
कहीं व्याकुल, कहीं विस्तृत,
कहीं चंचल ,कहीं सशंकित,
तेरे मन से मैं परिचित,
तेरी थिरकन पे हर्षित,
तेरे भावों से शाषित,
तेरी  खुशियों पे अर्पित,
मैं तेरा एक परिचित.

3 comments:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

बहुत ही बढ़िया है.

Arshad Ali said...

सबसे पहले नवरात्रि की अनेको शुभकामनायें ...
भाई प्रणव को मेरी तरफ से बधाई हीं बधाई उनके सुन्दर कविता के लिए..

प्रवीण पाण्डेय said...

बहुत अच्छी

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