Tuesday, November 2, 2010

ऐ जिंदगी तू रुकती नहीं

ऐ जिंदगी तू रुकती नहीं
चलती जाती, झुकती नहीं
उम्र की ढलान, जवानी का चढ़ाव
बचपन का चुलबुलापन
या मस्ती का बहाव
कुछ कहानियां छोड़ जाते हर पड़ाव
ऐ जिंदगी तू रुकती नहीं



मैंने जब जब चाहा
तुझे भूला आगे बढ़ जाऊं
तू हर कदम पर आती हो सामने
कभी सुख-कभी दुख
कभी आंसू-कभी मुस्कान
हर चीज  तेरी दिलाती है याद
हर बार दिल देता है तुझे दाद
ऐ जिंदगी तू रुकती नहीं



हजारों रंगीनियां समेटे तू
तेरी हर अदा
तेरा हर वादा
कभी डराता
कभी भगाता
कभी मस्ती के समंदर में डुबोता
हर पग पर रहता है तेरी याद दिलाता
ऐ जिंदगी तू रुकती नहीं

4 comments:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

kuChh flavour - jindagi aa raha hoon main jaisa hai...

प्रवीण पाण्डेय said...

चलने का नाम ही जिन्दगी है।

प्रवीण पाण्डेय said...

न रुकना था,
न रुकना है,
नहीं और रुक पायेंगे।

सुरेश शर्मा (कार्टूनिस्ट) said...

लगे रहिये प्रभात भाई...शुभकामनाएं !

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