वैसे वहां कैद कुछ तस्वीरें यहां हैं...
Friday, January 14, 2011
जिंदगी काफी खूबसूरत होती है, बशर्तें हम इसे खूबसूरत बनाएं
जिंदगी काफी खूबसूरत होती है, बशर्तें हम इसे खूबसूरत बनाएं. वो शुक्रवार का दिन था और हम थे मस्ती के मूड में. रांची के बिरसा जैविक उद्यान में उस दिन मकर संक्रांति के एक दिन पहले जिस गुनगुनी धूप का अहसास हो रहा था, वह इसलिए भी खास था कि हम शायद सर्दी के उस अंतिम बेला में मस्ती करने के मूड में थे. वैसे जैविक उद्यान में जानवरों को कैद में देखने के बाद हमें उनकी त्रासदी पर तरस आता है. हम अपनी खूबसूरत दुनिया को जिस तरह अपने हाथों से उजाड़ रहे हैं, वह दुखद है. हम चाहे जितना भी विचार-विमर्श या आंदोलन कर लें, ये स्वीकार कीजिए की अब देरी हो चुकी है.
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गांव की कहानी, मनोरंजन जी की जुबानी
अमर उजाला में लेख..
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3 comments:
हाँ, यदि बर्बाद न करें तो।
जंगल तो मनुष्य ने हथिया लिये..
बात आपकी सौ फ़ीसदी सही है ..तस्वीर के लिए शुक्रिया
एक्सक्यूज़ मी, क्या मैं भी मियां मिट्ठू बन सकता हूँ ?
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