Wednesday, March 23, 2011

सबसे खतरनाक होता है मुर्दा शांति से भर जाना

पिछले दो सालों में रांची की जिंदगी बदल सी गयी है. मार्च का महीना मई जैसा लग रहा है. पानी के लिए लोग तरस रहे हैं. इन सबके बीच होली आयी और चली गयी. मैं हर साल होली में सिर्फ शाम में अबीर खेला करता था और खेलता रहूंगा. पानी वाली होली से वैसे ही दूर रह रहा हूं. कुछ दिनों से अखबारों में पानी बचाओ अभियान चल रहा है. पानी कम हो गया है. लोग पीने के पानी के लिए तरस रहे हैं. 

हम भारतीयों खास कर बिहार-झारखंड के लोगों में एक लोचा है. हम लोग जब खेती करने का वक्त आता है, तो पानी के लिए चिल्लाते हैं. कुआं खोदते हैं. हमारे घर से दो किमी दूर अगर कोई तालाब या जलाशय सूख रहा है या बर्बाद हो रहा है, तो हम तमाम लोग सरकार या व्यवस्था के सहारे आंखें मूंदे बैठे रहते हैं. हममें से कोई भी, मैं खुद भी, व्यक्तिगत पहल नहीं करता.

झारखंड राज्य की ये त्रासदी है कि यहां कोई पानी वाला बाबा राजेंद्र सिहं पैदा नहीं होता. यहां कोई ऐसा आदमी आगे नहीं आता, जो लगभग मर चुकी अंतरात्मा को जगा जाए. मुझे अखबारों में पानी को लेकर चलाए जा रहे अभियान पर सिर्फ हंसी ही आती है. हम मानते हैं कि पानी बचाने से अलग, कैसे दशा बदले, इस पर जोर हो. कई लोग हैं, जो इन बातों पर बोलने से परहेज करते हैं.उन्हें खुल कर इन मुद्दों पर अपनी बातें रखनी चाहिए. धरती का सीना चीर कर कितने दिनों तक गंगा स्नान करते रहोगे. पटना में जिस गंगा को पूजते हो, उसकी धारा भी छोटी हो चली है.  

फिलासफी भांजने से ज्यादा, दो शब्दों में कहूं, तो जो अखबार जैसी विचारों की फैक्ट्री में दशा को बदलनेवाली बातें ज्यादा होनी चाहिए. कैसे हरियाली आए. कैसे भूमिगत जल को रिचार्ज किया जाए और कैसे लोग इस मुहिम में सही में असल रूप में जुड़ें.

जरा कवि पाश की इन बातों पर जरूर गौर फरमाएं

सबसे खतरनाक होता है मुर्दा शांति से भर जाना
न होना तड़प का

सब सहन कर निकलना काम पर और काम से लौट कर घर आना
सबसे खतरनाक होता है हमारे सपनों का मर जाना

6 comments:

Dr. Yogendra Pal said...

बिल्कुल सही कहा, जितना बोला या लिखा जाता है उसका १०% भी करने लगें तो सब कुछ बदल जाए

अब कोई ब्लोगर नहीं लगायेगा गलत टैग !!!

Sushil Bakliwal said...

पर उपदेश कुशल बहुतेरे...

Udan Tashtari said...

सबसे खतरनाक होता है हमारे सपनों का मर जाना......एकदम सच..

प्रवीण पाण्डेय said...

सच है, बड़ा अटपटा लगता है, सबका शान्त हो जाना।

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

Kaash ham apne jeevan men ise utar bhi paate.
होली के पर्व की अशेष मंगल कामनाएं।
धर्म की क्रान्तिकारी व्यागख्याै।
समाज के विकास के लिए स्त्रियों में जागरूकता जरूरी।

Girindra Nath Jha/ गिरीन्द्र नाथ झा said...

कभी कबी लगात है कि हमारी चुप्पी ही हमें अंत में मार देगी।

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