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Tuesday, March 2, 2010

अच्छा ताजा और बासी सौंदर्य क्या होता है?

हमने एक सवाल उठाया कि क्या किसी पोस्ट पर विषय से अलग हटकर महिला की तस्वीर लगाना उचित है। उसमें एक कमेंट्स आया। 


आपको सुन्दरता से एलर्जी क्यों है ?क्या ताजगी भरा सौदर्य है!
मन प्रफुल्लित हो गया -हाँ आपका यह कहना ठीक है कि विषय के साथ उसका कोई तारतम्य नहीं पर विश्यास्कती के साथ तो है मेरे भायी 

फिर रचना जी का कमेंट आया

maansik rogi bahut hae samaj mae jo kewal duartaa kae bhawarae maatr haen unko vishy sae nahin vastu sae { kyuki unki nazar mae naari kaa saundarya vastu maatr haen } pyar haen


अब हम असमंजस में हैं कि बासी और ताजा सौंदर्य क्या होता है? सुंदरता किसे अच्छी नहीं लगती। लेकिन एक नजरिया होना चाहिए। कोई स्त्री कितनी भी सुंदर हो, लेकिन व्यवहार उचित और संयम भरा नहीं हो, तो सुंदरता के क्या मायने? अब सवाल ये उठता है कि ताजा सौंदर्य क्या होता है? ताजा सौंदर्य की परिभाषा क्या है? हम आज तक ताजा सौंदर्य का मतलब नहीं समझ पाये। यहां ताजा शब्द के इस्तेमाल पर जोर है।
सब्जी ताजी हो सकती है। ताजी भात या दाल हो सकती है, जो तुरंत बनी हो, लेकिन क्या सुंदरता, वह भी स्त्री की सुंदरता ताजी हो सकती है। 


बड़ी मुश्किल है। हमें लगता है कि हम किंकर्तव्यविमूढ़ हो गये। यहां  कठिन हिन्दी शब्द का प्रयोग कर दिया, क्योंकि इसे समझने के लिए भी सामान्य व्यक्तियों को शब्दकोष का सहारा लेना पड़ेगा। मुझे अब उस शब्दकोष की तलाश है, जिसमें इस ताजी या बासी की पूरी बारीक जानकारी हो। 


जहां तक हमें लगता है, तो ये मनुष्य के लालन-पालन और उसके वातावरण पर निर्भर करता है कि वे किसी चीज, वस्तु या किसी महिला को भी कैसे देखते हैं। यहां विचारों के महासमुद्र में दैहिक सुंदरता का क्या मतलब है? क्या हम अगर किसी वृद्धा की तस्वीर होगी, तो उसे नापसंदगी के दायरे में लायेंगे। सीधे तौर पर मन शर्म से पानी-पानी हो रहा है। 


मुझे अपनी भारतीय संस्कृति की वह परिभाषा याद है, जहां नारी को पूजनीय कहा गया है। नारी शक्ति है और इसके पीछे के अर्थ को समझने से पहले अपने नजरिये को ठीक करना होगा। बड़ी-बड़ी बातें करना अपनी जगह है, लेकिन उसे व्यावहारिक रूप से अमल में लाना अपनी जगह। हमें लगता है कि हम कम से कम इस ब्लाग जगत को गलत अवधारणा से मुक्त करें।

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