आखिरकार सुप्रतिम घर लौट आया। रांची का रहनेवाला है वह। जिस जोश, हिम्मत और जज्बे से उसने मौत को शिकस्त दी, वह काबिलेतारीफ है। जिस किसी ने भी उसकी हालत देखी, वह दहल उठा था। लोगों की दुआओं के असर का ही नतीजा है, वह आज घर लौट आया है। सुप्रतिम ने रांची के संत जेवियर से पढ़ाई की है। सुप्रतिम ने हर उस व्यक्ति के हौसले को बुलंद किया है, जिसने किंन्ही कारणों से जीने की उम्मीद छोड़ दी है। हमें कोई मदद करे, ना करे, लेकिन सबसे पहले हम खुद की मदद तो कर सकते हैं। सचमुच, अगर खुद में हिम्मत है, तो खुदा भी मदद को तैयार हो जाता है।
सुप्रतिम को नये जीवन के लिए बधाई
Tuesday, July 29, 2008
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