Saturday, September 6, 2008
एटॉमिक डील और भारतीय नेता
आखिरकार एटॉमिक डील पर ठप्पा लग ही गया। खुशी की बात है। देश के लिए एक उपलब्धि और कांग्रेस के लिए जीत की तरह है। इस डील को लेकर काफी बहस हुई। बातचीत का दौर चला। लेकिन इस दौरान जब भी एक आम व्यक्ति ने इन बातों से बेखबर होकर जब अपने जनप्रतिनिधियों से इस मुद्दे को समझने की कोशिश की, तो उसे निराशा ही हाथ लगी। कारण था, उन्हें इस डील के बारे में पूरी जानकारी नहीं होना। किसी ने कहा कि शांति आयेगी, गरीबी हटेगी, तो किसी ने सीधे अन्य मुद्दों से जोड़ दिया। विश्वासमत के दौरान पूरी बहस भी इसी मुद्दे पर थी। लेकिन ज्यादातर सांसद भी सतही जानकारी भी नहीं रख रहे थे। हमारे पॉलिसीमेकर भी देश को समझाने में पूरी तरह अंतिम मौके तक असफल रहे। पूरी प्रक्रिया के दौरान एक आम आदमी इन चीजों से दूर सिफॆ मीडिया के सहारे जानकारी लेने की कोशिश करता रहा। जिससे हमेशा एक भ्रम की स्थिति बनी रही। नरेगा, एटॉमिक डील जैसे मुद्दे हमारे देश को आनेवाले समय में प्रभावित करेंगे। इससे यदि जब आम नागरिक होनेवाले प्रभाव या कुप्रभाव की जानकारी से वंचित रहेगा, तो जाहिर है, देश का ही नुकसान होगा। बहस के दौरान भी जिस गंभीरता की जरूरत चाहिए थी, वह नदारद दिखी। लेफ्ट ने इस मुद्दे पर समथॆन वापस ले लिया। मुद्दा तनाव का कारण बना रहा। सवाल है कि जब देश में इन मुद्दों को लेकर ही राजनीति होती रहेगी, तो दूसरे देश हमारी कमजोरियों का फायदा आसानी से उठा लेंगे। ऐसे में ऊपर बैठे लोगों को थोड़ी परिवक्वता दिखाने की जरूरत महसूस होती है। वैसे अब इस डील से होनेवाले फायदों और नुकसानों पर गौर करने की जरूरत होगी।
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1 comment:
सही कह रहे हैं आप!!
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