एनोनिमस भाई साहब ने पलट कर कहा है -भाई, यदि बहस करवा पाने का दम नही है तो बहस करवाते ही क्यों हो। .... के इतने ही पिछ्लग्गू हो, तो उससे कहो कि सामने आये और बहस करे। टिप्पणी हटाकर आप अपना छोटापन दिखा रहे हो। दम हो तो . ....को सुधार कर दिखाइये।
समझ में नहीं आता है कि बेनाम होकर कमेंट्स कर ये भाई साहब क्या बताना चाहते हैं?
बहस में शामिल होने या मुद्दे को उठाने का मतलब किसी के साथ बदतमीजी करना नहीं है। कुछ दिनों पहले एक साथी ब्लागर ने एनोनिमस नाम से कमेंट्स करनेवाले व्यक्ति के प्रति सख्त एतराज जताया था। व्यावहारिक तौर पर ऐसा करना उचित जान पड़ता है।
अब तो हम कहेंगे
एनोनिमस भाई एनोनिमस भाई
क्यों करते हो जगहंसाई?
खुद हो बेनाम
पर करते हो नाम की बात
किसी से निकालनी है दुश्मनी
तो क्या ये ब्लाग ही पड़ी है अपनी
दुनिया बहुत बड़ी है
फिर क्या हड़बड़ी है
थोड़ा इंतजार कर लो
बस किसी से प्यार कर लो
दुश्मनी नहीं कोई फंडा है
प्रेम में ही सब फंडा है
अगर समझ सके तो
समझ लो
हम तो बस यही कहेंगे
बहको मत,सबके साथ हो चलो
Saturday, November 15, 2008
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2 comments:
पता नही लोग अनाम टिप्पणी क्यो करते है अरे यहाँ कोई लट्ठ तो चल नही रहे जो डरे | यदि किसी बात से असहमत है तो अपनी पहचान के साथ असहमति जताए ताकि लिखने वाला आपको जबाब तो दे सके |
बुरा न मानें .मेरे विचार से आपको भी विवादों में बने रहने का शौक है . अन्यथा आप अपने ब्लॉग पर ऐनोनिमस टिप्पणी का विकल्प ही हटा दें .मुझे लगता है कि ऐनोनिमस ने ठीक कहा इसमें आपकी कोई चाल है .
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