Saturday, December 6, 2008
डु यू नो एबाउट दिस मैजिक कॉल्ड चंपी
एक शब्द् पर ध्यान आया चंपी।
मां कसम, भैया चंपी कराना हो, तो जरूर कराओ। हम तो कराते हैं, सारा टेंशन छूमंतर हो जाता है।
सिर पर जब तबले बजाने की माफिक उस्ताद की उंगलियां चलती हैं, तो रक्त संचार जादुई रफ्तार से पूरे शरीर में दौड़ने लगता है।
धीरे-धीरे।
उस जादुई अहसास के बारे में क्या कहें या न कहें। क्योंकि उस स्वगॆ की अनुभूति के लिए चंपी कराना जरूरी है। आप मेरी राय से सहमत हों या नहीं, लेकिन मैं तो फुल कान्फिडेंट हूं। शतॆ लगा सकता हूं पूरे दो रुपये की।
अच्छा एक बात बताइये, इसका आविष्कार कैसे हुआ होगा। आपको लगता होगा, ये क्या चंपी-चंपी कर रहा है। तो भाई आपके लिए समझाता हूं-चंपी का मतलब है हेड मसाज या सर का मालिश भरपूर तेल के साथ। जब भी कहीं सैलून (हाइफाई नहीं, रोड साइडवाला) मिडिल क्लास में जाइये, तो उसे चंपी करने जरूर कहिये। अगर आपकी ताजगी लौटती नहीं है, तो लगाइये २५ पैसे की शतॆ। जीतने पर मेरी तरफ से दुकान से खरीद कर टॉफी जरूर खाइयेगा।
एक गीत याद करिये जॉनी वाकर जी का, सुन-सुन अरे बेटा सुन, इस चंपी में बड़े-बड़े गुन।
वैसे आजकल अगर किसी को आप यूं ही चंपी करने बोलेंगे, तो वो समझेगा ही नहीं, क्योंकि हेड मसाज शब्द ने इसकी गरिमा को धूमिल कर दिया है। लेकिन मेरी जुबान पर तो चंपी शब्द ऐसा चस्पा है कि इसकी चरचा होते ही उंगलियां इसके मजे के मायने बताने के लिए खुद टिपिर-टिपर करने लगी। वो भी रात के १२ बजे, तो अगर टेंशन है, तो ठंडावाला तेल से कराइये चंपी और रहिये मस्त।
विशेष टिप्स - चंपी में गदॆन घुमाने नहीं बोलियेगा, नहीं तो फिर ऊपर ही मुलाकात होगी। बुरा मत मानना भाई, आज कल बिना पूछे सलाह देने का शौक हो गया है।
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2 comments:
सर जो तेरा चकराए और दिल डूबा जाए
आ जा प्यारे पास हमारे काहे घबराए....
भैया नये ब्लॉगर हो, सो बचे हो। वर्ना रचनाजी पकड़ लेतीं इस फोटो के प्रयोग पर!
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