एक बहस चालू है कि मीडिया युद्धोन्माद का माहौल तैयार कर रहा है। लेकिन इसमें
ये सवाल गौर करने लायक हैं?
१. क्या मीडिया बिना हकीकत के सेना से संबंधित रिपोरटिंग कर सकता है?
२. मुंबई आतंकी हमले के बाद जैसी स्थिति पैदा हुई थी, उसमें क्या शांति की बात होनी चाहिए थी?
३. क्या दोनों देशों के नेताओं के बीच तीखी बयानबाजी नहीं हो रही?
४. क्या युद्ध के लिए छोटी सी चिंगारी ही काफी नहीं है?
५. क्या मीडिया रिपोरटिंग और विवेचना के लिए सौहाद्रॆपूणॆ माहौल बनने का इंतजार करे?
६.लोग क्यों नहीं हकीकत और तनाव की बातें सुनना पसंद करते हैं?
७.मीडिया पर बात-बात पर उंगलियां उठाना क्या उचित है?
८.मीडिया कोई चैनल विशेष या अखबार नहीं है, ये तो चुनिंदा खबरनवीसों का समूह है, जो समाज के विभिन्न वरगों से आता है, तो इसमें किसी के पूवाॆग्रह से ग्रसित होने के आरोपों को कितना जायज माना जाये?
शायद ऊपर के ये सवाल इस आलेख के लिए काफी होंगे। आप मंथन करें।
Friday, December 26, 2008
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
4 comments:
सब जानते है पाकिस्तान की सरकार वहां की सेना चला रही है.....कसाब को पाकिस्तानी मानती है तो वहां के वर्तमान जनरल को तीन साल पहले आई एस आई के चीफ थे .सीधे वे शक के घेरे में ओर दोषी पाये जायेगे....ओर "डिनायल पॉलिसी " की एक मात्र सहारा है तो युद्ध उन्माद पाकिस्तान का मीडिया फैला रहा है...भारतीय नही.
मीडिया के रोल के विषय में कतराना चाहूंगा।
उसका प्रशंसक तो नहीं ही हूं।
shrimaan ji
atank ke khel par likhe aapke subject tanaav prakat karte hain , samvednaaye bhi
magar jaantaa hun tippaniyaan kam milegi
jab tak rawan jindaa hai alag alag muh se bak bak chalti rahegi so likhaa hai padh lijiyega
Post a Comment