Sunday, January 25, 2009
भागलपुर की साइकिल रेस, मेन रोड, आम आदमी
२५ जनवरी को कटिहार के अपने गांव से भागलपुर के लिए चला। ठंडी हवा का जोर मन में सुकून के बदले अनचाही कनकनी का एहसास करा रहा था। पर यात्रा का जुनून तकलीफ पर हावी रहा। मन कुलांचे भर चारों ओर के प्राकृतिक दृश्यों का आनंद ले रहा था। तब तक अच्छा लग रहा था, जब तक कि गंगा पुल पर हमारी बस को न रोका गया। हमारी बस चलते-चलते गंगा पुल को पारकर शहर में प्रवेश की तैयारी कर ही रही थी कि साइकिल रेस के आयोजन को लेकर दो बजे से शहर के मेन रोड में ट्रैफिक रोक दी गयी थी। मेरी रांची जानेवाली ट्रेन साढ़े तीन बजे थी। हमें लगा कि मेरी ट्रेन छूट जायेगी। समय पर रेलवे स्टेशन पहुंच पाऊंगा या नहीं। फिर ईश्वर को प्रणाम कर दोचकिया बस यानी पैदल ही गंतव्य की ओर चल पड़ा। यहां इस बात का उल्लेख करने का प्रयोजन ये सवाल उठाना है कि साइकिल रेस के बहाने हाइ-वे पर ट्रैफिक की आवाजाही को रोकना कितना सही है? क्या साइकिल रेस के आयोजन को हाइ-वे के अलावा कहीं और आयोजित नहीं किया जा सकता। न जाने उस दो घंटे के दौरान कितने लोग जाम में फंसे हुए होंगे। सबसे बड़ा सवाल ये है कि प्रशासन के सौजन्य और सहयोग से जब रेस का आयोजन किया जा रहा हो, तो फिर आम नागरिक या यात्री की सुविधा-असुविधा को लेकर सोचना भी प्रशासन की ही जिम्मेवारी होगा। मैं सिफॆ यहां इसलिए नहीं कह रहा, क्योंकि मुझे दो-तीन किमी पैदल यात्रा करनी पड़ी, बल्कि इसलिए कि उस जाम में न जाने कितने अन्य यात्री महत्वपूणॆ कामों को लेकर फंसे होंगे। देशभक्ति या जज्बा का अपना महत्व है, लेकिन किसी भी कायॆक्रम के आयोजन को व्यावहारिक पैमाने पर भी तौलने की जरूरत है। नहीं तो ऐसे आयोजन कुछ लोगों के मन में उत्साह की जगह टीस भरने का काम करते हैं। साथ ही नकारात्मक चिंतन को प्रश्रय देते हैं। क्या कोई सुनेगा?
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5 comments:
गोपाल जी, आपकी बात भले ही कोई सुने या न सुने लेकिन मैंने पढ़ जरूर ली. आपको दिक्कत हुई, और आपकी तरह कई लोगों को दिक्कत का सामना करना पड़ा होगा.
खैर कटिहार से नौगछिया तक दिक्कत तो नही हुई न. अब एन एच ३४ ठीक हाल में है न. दरअसल मेरा घर भी पुरनिया ही है.
अच्छी पोस्ट और गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत बधाई
अच्छी लेखनी का परिचय ....
अनिल कान्त
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
रेस के लिये हाइवे पर यातायात रोकना तो चौपटिया व्यवस्था है!
Prashashan apne karyakram ke safal aayojan ka shrey lene mein aam aadmi ki asuvidha ko najarandaj kare to yeh dukhad hai.
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