Wednesday, January 14, 2009
नरेंद्र मोदी या राहुल गांधी, किसे चुनेंगे?
कुछ दिनों पहले राहुल गांधी को कांग्रेस में प्राइमिनिस्टर इन वेटिंग के मुद्दे पर लेख लिखने पर काफी विरोधाभास उत्पन्न हुआ था। सबके अलग-अलग मत थे। उसी में हमने कहा था कि भाजपा में उसके ही नेता खुद आडवाणी के अस्तित्व को चुनौती दे रहे हैं। चुनाव दूर है, दिल्ली का गद्दी पाना जरूर है, लेकिन कैसे? यहां तो उद्योगपति अनिल अंबानी ने भी नरेंद्र मोदी को देश की बागडोर संभालने की जिम्मेवारी देने की वकालत कर दी। यानी भाजपा में नरेंद्र मोदी द्वारा बिना कुछ कहे, अनिल अंबानी शायद उनके मन की बात कह गये। अब भाजपा के शीषॆस्थ नेता इस मुद्दे को संभालने में जुट गये हैं। ये तस्वीर है। शायद इस बात ने लोगों के मन में छायी धुंध को दूर कर दिया होगा। नरेंद्र मोदी ने गुजरात को पूरे देश के लिए एक उदाहरण बना दिया है। अब नरेंद्र मोदी की बढ़ती जा रही साख ने भाजपा में नयी चुनौतियां उत्पन्न कर दी है। गुजरात से ऊपर उठकर देश के लिए सोचें, तो आप क्या एक पारटी के रूप में भाजपा को स्वीकार कर पाने की स्थिति में हैं। जो खुद एक गहरे अंतरविरोध से जूझ रही है। भाजपा अटलजी की छाया से निकलने के बाद भटकती नजर आ रही है। उसमें अनिल अंबानी जैसे शख्स द्वारा नरेंद्र मोदी को पीएम बनाने की वकालत किये जाने से मामला और पेचीदा नजर आ रहा है। उधर कांग्रेस धीरे-धीरे ही सही अपनी पकड़ मजबूत बनाती दिख रही है। शायद यहां ज्यादा बताने की जरूरत नहीं है। क्योंकि धुंध तो छंटने लगा है। बस उस पार देखने की एक कोशिश होनी चाहिए।
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1 comment:
bahut sahi aalekh...
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