Sunday, February 22, 2009

रांची में संभावनाओं को तलाशने जुटे ब्लागर

जब २२ फरवरी को ब्लागर मीट का न्योता मिला, तो एक कल्पना थी कि बस यूं ही साधारण होगी मीट। लेकिन शैलेश भारतवासी, घनश्याम जी और डॉ भारती कश्यप के समग्र प्रयास ने इसे एक अनोखा कार्यक्रम बना दिया।
यहां लोगों की सक्रियता का भान इस हिसाब से हुआ कि दूर कोलकाता और जमशेदपुर-बोकारो से भी लोग आ जुटे थे। ब्लागिंग के इतिहास और उसमें रुचि पर काफी सवाल उठाये गये। लेकिन इस पूरी परिचर्चा में लोगों ने ब्लागिंग को एक सशक्त उभरता हुआ माध्यम माना। तकनीकी पहलुओं को अगर नकार दें, तो ब्लागिंग में बेहतर लिखने पर जोर देने के मुद्दे पर काफी आवाज उठी। वक्ताओं ने ये माना कि आज भी हिन्दी ब्लागिंग अपने उच्च स्तर को नहीं पा सका है और इसके लिए सारे लोगों को मिलकर सोचना होगा।
वैसे शैलेश भारतवासी ने यहां अविनाश दास (मुहल्ला) के ब्लाग जगत में अभूतपूर्व योगदान की चर्चा की। हिन्दी ब्लाग जगत के विकास को प्री मुहल्ला एरा और पोस्ट मुहल्ला एरा के रूप में हम देख सकते हैं। इसे अविनाश का व्यक्तित्व कहें या कुछ और, उनकी छाप हर जगह दिखाई पड़ जाती है। पुराने ब्लागरों में से एक मनीष जी से भी काफी बातचीत हुई और उन्होंने हमें ट्रैवेलोग बनाने की कहानी सुनायी। अब वे भी हमारे एक बेहतर मित्र हो गये हैं।
मौके पर ब्लाग जगत से कमाई के मुद्दे पर लोगों ने जानना चाहा। हमारे ख्याल से ये अच्छी बात है कि ब्लाग जगत से मानिटरी बेनिफिट के बारे में सोचा जा रहा है, लेकिन ये थोड़ी हड़बड़ाहट से भरी पहल मानी जा सकती है। हम आप ब्लाग जगत को कितनी अहमियत देते हैं, इसे तौलने के बाद ही शायद हम इस दिशा में बातें करें, तो अच्छा होगा। आज भी हम घुटनवाली स्थिति से ऊपर नहीं उठ पाये हैं।
इधर सौभाग्य से हमें भी विचार व्यक्त करने का मौका मिला, तो हमने ब्लाग लेखन में पाठकों की रुचि को ध्यान में रखकर लिखने की अपील की। वैसे मैं खुद इसमें कितना सफल होऊंगा, ये तो वक्त ही बतायेगा।
घनश्याम जी ने पूरे कार्यक्रम का कुशल संचालन किया। यहां शिवकुमार मिश्र हमारे बीच आये। उन्होंने मुझे पहली ही भेंट में पहचान लिया और ये उनके अनोखे व्यक्तित्व को दर्शा गया। वैसे उनकी गंभीरता का बोध उनकी रचनाओं में हो ही जाता है। मौके पर संगीता पुरी जी से ज्योतिष की स्थिति पर चर्चा हुई। पारुल जी और मीत जी ने क्रमशः गीत और नज्म पेश कर कार्यक्रम के स्तर को और बढ़ा दिया। इस मौके पर पत्रकारिता विभाग से आये छात्रों को भी ब्लागिंग के बारे में जानने का मौका मिला।
वैसे इस सिलसिले में शुरू से लेकर अंत तक शैलेश भारतवासी जी के योगदानों को नकारा नहीं जा सकता है। शुरू से उनके द्वारा किये गये प्रयास के कारण कम से कम रांची में ब्लागर एक छत के नीचे जुटने में सफल हो सके। अभिषेक मिश्र (धरोहर) से हुई अनोखी भेंट भी मन को ताजा कर गयी। ज्यादा क्या कहें, चार घंटे के पूरे कार्यक्रम के दौरान टुकड़े-टुकड़े में सबों ने अपनी मन की बातें कहीं और एक-दूसरे से शेयर की। एक अनोखा और अद्भुत मिलन समारोह था। जिसे हम हमेशा यादकर दिल बहलाते रहेंगे।

13 comments:

Udan Tashtari said...

बढ़िया रपट...मन लगा था और न पहुँच पाने का दर्द तो था ही. अच्छा लगा सब जान सुन कर. आभार.

संगीता पुरी said...

धनबाद से लवली जी भी आयी थी....क्‍या बात है.....उनकी चर्चा कोई नहीं कर रहे हैं।

कुश said...

"वैसे उनकी गंभीरता का बोध उनकी रचनाओं में हो ही जाता है।"

मिसिर जी गंभीर!!!!!!!!!!!

हरी ओम! हरी ओम!

बाकी आपने ख़ासा विवरण दे दिया मीट का..

प्रेम सागर सिंह [Prem Sagar Singh] said...

मै तो राँची में रह्कर भी नहीं आ सका, काफी अफसोस है।

Anonymous said...

सफल आयोजन के लिए सभी को बधाई। आयोजकों को, प्रायोजकों को और शामिल हुए सभी साथियों को इस सफल सम्‍मेलन के लिए।

चलते चलते said...

शैलेष भारतवासी से पिछले दिनों चर्चा हुई थी कि वे रांची जाने वाले हैं। लेकिन ब्‍लागर मीट इतनी बेहतर होगी पता नहीं था। अन्‍यथा हम भी मुंबई से पहुंच जाते। वैसे थोडा हालचाल संगीता पुरी से चैट पर लग गया था। जारी रखिए इस अभियान को...मुंबई आने का आप सभी को न्‍यौता। कमल शर्मा 09819297548

विष्णु बैरागी said...

इतने सुन्‍दर आयोजन के लिए आप सबको बधाइयां।
आपने अत्‍यन्‍त परिश्रमपूर्वक सारा हाल बताया। इसके लिए आपको विशेष धन्‍यवाद।
हिन्‍दी ब्‍लाग अभी इस दशा में नहीं आया कि ब्‍लागरों को दो पैसे दे सके। अभी तो इसे ही खुराक की जरूरत लग रही है।

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

हू...हू..हू..हू..हू..हा..हा..हा..हा..और मैं भी आपके आस-पास ही कहीं मंडरा रहा था......लेकिन मैं तो भूत हूँ ना....कैसे दिखायी देता.....!!

अनूप शुक्ल said...

फ़ोटू-सोटू दिखाते तनिक!

अभिषेक मिश्र said...

आपसे मिलना मेरे लिए भी एक उपलब्धि थी. आशा है संपर्क बना रहेगा.

शैलेश भारतवासी said...

जो इसबार नहीं आ सके। उनसे निवेदन है कि अगली बार न आने का कोई कारण न छोड़‌ें।
झारखण्ड में जितना प्यार मिला, उसके लिए आभारी हूँ।
२२ फरवरी के इस आयोजन में उपस्थित भीड़ देखकर लगा कि हिन्दी ब्लॉगिंग को भी लोग अब गंभीर विधा के तौर पर स्वीकारने लगे हैं।

परमजीत सिहँ बाली said...

सुन्‍दर आयोजन के लिए आप सबको बधाइयां।

Manish Kumar said...

आज ही वापस राँची पहुँचा हूँ। आप सब की रपट पढ़ कर उस दिन की यादें ताज़ा कर रहा हूँ अब आज कुछ लिखता हूँ उस बारे में...

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