जब पूरे देश में समस्याओं का जंजाल है, तब आडवाणी से लेकर जसवंत सिंह तक जिन्ना का भूत लेकर क्यों पीछे पड़े रहते हैं? आजादी के ६० वर्ष पूरे हो गये। ये सब जानते हैं कि जिन्ना अंतिम समय तक पाकिस्तान के लिए अडिग रहे।
सारे इतिहास को एक किनारे कर दीजिए और फिर जिन्ना प्रेम की बात करें, ये सोचना लाजिमी है कि खुद को सेंटर स्टेज पर लाने के लिए जसवंत सिहं और आडवाणी जैसे भाजपा नेता जिन्ना के भूत को पकड़ कर बैठ जाते हैं। हमें इतिहास की जानकारी नहीं रखनी है और न ये जानना है कि जिन्ना का इस धरती से क्या रिश्ता था?आज की तारीख में जिस पाकिस्तान के लिए जिन्ना अंतिम समय तक लड़ते रहे, वही पाकिस्तान हमारे लिये नासूर बन चुका है।
इन भाजपाइयों को पता नहीं क्या सुझ जाता है, पूरी बहस इसी मुद्दे पर होने लगती है कि आखिर जिन्ना में क्या था या वे कैसे व्यक्तित्व के स्वामी थे।
बस कीजिये, अब और कितने दिनों तक ये ड्रामा चलता रहेगा। वैसे भी इतिहास पढ़ते-पढ़ते ऊब होने लगी है। कुछ ऐसा रचिये या कुछ ऐसा रास्ता दिखाइये कि आपके जाने के बाद जिन्ना की जगह लोग आपको याद करें।
आज भाजपा खुद को बिगाड़ने के थर्ड फेज में पहुंच चुकी है। इसके बाद भाजपा का क्या हश्र होगा, ये तो भाजपा ही जानें। हम इतना जानते हैं कि पब्लिक पूछ रही है कि अटल के बाद आडवाणी और अब आडवाणी के बाद कौन?
Wednesday, August 19, 2009
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1 comment:
क्या पता कौन??
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