Wednesday, September 16, 2009
इस टाई से तो दम घुटता है।
कल कहीं पढ़ रहा था कि मुंबई शहर में उधार की टाई देने का धंधा शुरू हुआ है। यानी १५ दिनों के लिए दामी टाई उधार लेकर, किराये पर पहन कर आप अपना रुतबा बढ़ा सकते हैं। कॉरपोरेट जगत में टाई का शायद अपना महत्व है। ये मानसिकता है कि टाई पहन लेने से लोगों का व्यक्तित्व बदल जाता है। क्या सचमुच ऐसा होता है? क्या कोई व्यक्ति जो टाई पहन लेता है, वह लंबे समय तक अपना प्रभाव सामनेवाले पर कायम रख सकता है।
पहननेवाला व्यक्तित्व और व्यवहार से जुड़ा व्यक्तित्व दो कोण हैं। इन्हें एक साथ जोड़ कर नहीं देख सकते। फर्स्ट इंप्रेशन इज द लास्ट इंप्रेशन के तहत शायद टाई को प्राथिमकता दी जाती है। हमारे हिसाब से आप टाई पहन लें, धारदार अंग्रेजी बोलें, लेकिन आवाज में रुखापन हो, तो आपके सारे अरमान धरातल पर नजर आयेंगे।
टाई तो गुलामी का प्रतीक लगता है। ऐसा लगता है कि अंग्रेजों ने अपनी एक पहचान हमारे ऊपर थोप दी है। सेल्स एग्जीक्यूटिव को आप टाई के साथ ही दरवाजे पर खटखटाते देखेंगे। साथ ही रटाया हुआ अंगरेजी का वाक्य बोलते हुए भी। हम तो उन्हें एक ग्लास पानी का पिला देते हैं और टाई की नॉट ढीलीकर पंखे की ठंडी हवा में बैठाते हैं। टाई के लिए इतना तनाव कुछ समझ में नहीं आता है।
स्कूलों में भी ड्रेस कोड में टाई का पहनना जरूरी दिखता है। यांत्रिक बना देनेवाली कवायद को हटाने का सिलसिला कब शुरू होगा, पता नहीं? टाई नहीं पहननी है भाई। इस कंठ लगोट को अंगरेजों को ही मुबारकबाद के साथ लौटा दें, तो अच्छा होगा। अंगेरजों की अंगरेजी लेकर ही हम काफी फायदे में है। इस टाई से तो दम घुटता है।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
2 comments:
इस टाई में दम घुटता है तो दूसरी वाली पहनो या इसे ढीले कर बांधो
गुलामी हो न हो..दम तो हमारा भी घुटता है मगर कुछ विशिष्ट जगहों पर आत्म विश्वास भी टाई पहन कर बोलने में ही आता है.
अंग्रेजों की गुलामी कहिये या अभिजात्य वर्ग की निशानी-जो भी हो..है तो ऐसा ही.
Post a Comment