ऐसे में शांति पुरस्कार के लिए किसे चुना जाये। इसे लेकर हम भी भ्रम में है। हर कोई बाण लिये खड़ा है। निशाने पर कोई भी हो सकता है। टीआरपी के रेस के लिए गरियानेवाले ब्लागरों अब आप टीवीवालों को मत गरियाओ। अब अपनी अंतरात्मा में झांको। कहां गलती की, कहां किस मोड़ पर ऐसी-वैसी क्या कर बैठे कि अच्छे-अच्छों की नींद हराम है। दिवाली आ रही है। हर घर रौशन होगा। अंधकार भागेगा। दीये जलेंगे। श्रेष्ठजनों मन के दीपक को जलाइये, टिपियाइये।
Friday, October 9, 2009
ब्लाग जगत शांति का पुरस्कार किसे दिया जाये
मेरे लिये ओबामा को नोबल का शांति पुरस्कार मिलना कोई आश्चर्यजनक थीम नहीं है। लेकिन सोचनेवाली बात ये है कि ब्लाग जगत के स्तर पर ब्लाग जगत शांति का पुरस्कार किसे दिया जाये। जो जहां है, वहीं से बिगुल बजा रहा है। हमारा धर्म, हमारी बातें, हमारा विषय, हमारा दंभ, हमारा संसार, सिर्फ यही दावे किए जा रहे हैं। हम सोचते हैं कि हाड़मांस के इस शरीर में क्या खून का भी रंग अलग-अलग होता है। छोटी सी जिंदगी में जिद की जद्दोजहद देखते ही बनती है। जिद सार्थक हो, तो जिंदगी बदल जाती है। अगर जिद निरर्थक हो, तो जिंदगी नरक बन जाती है। यहां किसी से हार न मानने की जिद है। बिना लोचा लिये की-बोर्ड के पीछे से हथौड़ा मारने की जिद है। अपनी बात मनवाने की जिद है। इस जिद ने हिटलर का भी सर्वनाश कर दिया था। इस संसार में कोई अपनी नहीं चला सकता। परिवर्तनशील दुनिया में कल कोई भी राजा या रंक हो सकता है। वैसे में ये मिथ्या अभिमान किसलिए। हे श्रेष्ठ महानुभावों, आपका ये श्रम किसलिए, किसके लिए। आपका प्रयोजन किया है? आपका उद्देश्य क्या है? इस लेखन संसार में अकेले आये हो, अकेले टिपियाते जाओगे। कोई टिप्पणीकार न तुम्हारा है, न होगा। भ्रमजाल में खुद को फंसाकर, धर्म चर्चा के चक्रव्यूह की चर्चा में खुद को उलझा कर ये आप क्या कर रहे हैं? हे श्रेष्ठ, निष्काम लेखन कर्म कर इस ब्लाग जगत का उद्धार कीजए।
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9 comments:
सवाल फिर भी ज्यों का त्यों है। आपकी सलाह नेक है । जिस तरह से शाँति पुरुस्कार बिना देखे दिये जा रहे हैं मुझे लगता है कि ये किसी बेनामी को ही मिलेगा । शाँति पुरुस्कार का नाम अब अशाँति पुरुस्कार रख देना चाहिये।शुभकामनायें
निर्मला जी से सहमत।आपकी सलाह नेक है मगर्…………।
कौन किसे यहाँ सुकून पहुंचाएगा.
जब डफली अपनी, हाथ अपना तो
राग भी अपना ही गायेगा.
चाहता है के पहले अशांति फैले,
फिर शान्ति के
व्यर्थ गीत गुनगुनायेया.
चलिए दुआ करती हूँ कि आपकी ये बातें लोग समझ पायें और सार्थक लेखन के प्रति समर्पित हो पायें.......बहुत सही कहा आपने...
ब्लॉग शांति पुरस्कार के लिए
उसी का चयन किया जाएगा
जो दीपावली पर बम पटाखे
बिना आवाज के पूरी शांति से
बजाएगा, बजेंगे और उनकी
बजबजाहट कानों में नहीं गूंजेगी।
मतलब पटाखों के बजने और फूटने की
पोस्ट लगाएगा, अवश्य ही यह पुरस्कार
किसी कार्टूनकार को ही दिया जाएगा।
काहे को ब्लॉग जगत में और एक पलीता लगाते हैं
हल्दीघाटी में बैठ कर शांति बिगुल बजाते हैं
अभी तुरंते देखिएगा सबलोग दौडे आवेंगे
हम हैं शांति दूत कह कर जोर-जोर चिल्लावेंगे
एतना चिल्ल-पों मचेगा की भेजा बस घूम जावेगा
एक मिनट में शांति-पुरस्कार अशांति-पुरस्कार बन जावेगा....
शांति कहाँ है ब्लोगजगत मे
जो शांति पुरस्कार देने निकले है
यहाँ तो कुछ जला रहे है
बाकी सब तो दिलजले है.
देना जरुरी है क्या और अगर है तो उसे देना चाहिए जो कि एप पोस्ट लिखने के बाद हमेशा से शांत बैठ जाते हैं। नियमित लिखनेवाले को तो िस विचारणा से दूर ही रखें।
पहले यह बताएये कि यह पुरस्कार शांति के लिये मिलेगा या मुर्दा शांति के लिये ?
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