Monday, November 23, 2009

आसुरी विलाप से ज्यादा खुद पर हंसने का भी वक्त है

लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट लीक हो गयी। बवाल हो गया। एक तीर से कई निशाने साध लिये गये। मामला चाहे, जो भी हो, लेकिन इसने मुख्य धारा की राजनीति से अलग होने की परंपरा को मिटने नहीं दिया। झारखंड चुनाव, गन्ना किसानों के आंदोलन, आतंकवाद, महंगाई जैसे मुद्दों पर जब हायतौब मचनी चाहिए, तो विपक्ष लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट पर त्राहि-त्राहि कर रहा है। सत्ता में बैठे लोग तो मुस्कुरा रहे होंगे कि चलो छुटकारा मिला। इडी के निर्देशों को धत्ता बताते हुए कोड़ा भी प्रचार में लगे हैं। २६ नवंबर को जब आतंकी हमले को एक साल पूरे हो जायेंगे, तो विलाप करने के लिए सब एक जमा होंगे। लेकिन ये इस आसुरी विलाप से ज्यादा खुद पर हंसने का भी वक्त है।

2 comments:

शरद कोकास said...

खुद पर वे हँसते हैं जिनका ज़मीर ज़िन्दा होता है ...

Udan Tashtari said...

ये बेवकूफ बना कर हंसते हैं.

Prabhat Gopal Jha's Facebook profile

LinkWithin

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

अमर उजाला में लेख..

अमर उजाला में लेख..

हमारे ब्लाग का जिक्र रविश जी की ब्लाग वार्ता में

क्या बात है हुजूर!

Blog Archive