Friday, December 11, 2009
पानी को लेकर कोहराम
यहां झारखंड के हजारीबाग में डैम में पानी कम होने कारण दिन में एक बार ही आपूर्ति का निर्णय लिया गया। पानी अनमोल है। ये हम सिर्फ सोचते हैं। मुंबई में पानी को लेकर कोहराम है। बहुमंजिली इमारतों को सरकार पानी नहीं देगी। मुसीबत ही मुसीबत है। साफ पीने का पानी नहीं मिल पा रहा है। जाड़े की शुरुआत से ही गरमी के लिए बेचैनी साफ दिख रही है। ये बेचैनी क्या संकेत कर रहा है? भूमिगत जल के दोहन को लेकर ऐसे हालात होते जा रहे हैं कि हर साल उसका स्तर एक-एक इंच गिर रहा है। बिहार में गरमा धान की खेती के नाम पर भूमिगत जल का जमकर दोहन बालू की ढेर खड़ी करता जा रहा है। गांव से शहर की ओर भागती आबादी और सरकार की अक्षमता ने कायम डैम, नदी और तालाबों के ऊपर संकट के बादल खड़े कर दिए हैं। गंगा जैसी नदी छिछली मालूम पड़ती है। जल प्रबंधन को लेकर समग्र नीति का अभाव साफ दिखता है। आनेवाले महीनों में पानी को लेकर काफी विपरीत परिस्थितियां झेलनी होंगी।..
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2 comments:
बात तो चिन्ताजनक है ही। हो भी क्यों नहीं - करीब ४०० साल पहे रहीम की चेतावनी "बिन पानी सब सून" को तो हमलोग पूरी तरह से भूल जो गए।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
जब पानी का यह हाल है तो बाकि चीजों का क्या हाल होने वाला है। खुदा जानें!!
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