हम जब युवा थे, तो हर मिडिल क्लासवाले घर में बजाज स्कूटर था। जो थोड़े बरियार या उज्जड किस्म के थे, बुलेट पर चलते थे। बुलेट चलानेवाले ज्यादातर गांव, देहात या शहर में हीरो की माफिक लंबी मूंछ और छाती पर बटन खोले मिल जाते थे। किसी फिल्मी हीरो से कम नहीं लगते थे। फट-फट की जोरदार आवाज के साथ फटफटिया ये अहसास करा जाती थी कि इस सोसाइटी का हीरो या फलाना व्यक्ति आ गया। गाड़ी पर्सनैलिटी का निर्माण करते थे। उसके बीच में बजाज स्कूटर का माइल्ड फार्म या सोबर लुक कुछ जादु कर जाता था। एक बजाज स्कूटर के साथ फैमिली कंपलीट नजर आती थी। तभी तो बुलंद भारत की बुलंद तस्वीर हमारा बजाज नजर आता था। बजाज का जाना सोसाइटी में हुए बदलावों को बताता है। सोसाइटी तेज गति पसंद हो गई है। तेज गति चाहती है। जबकि दो दशक पहले तक सोसाइटी धीमे चलनेवाले और कम स्पीड पसंद थी। जिंदगी की गाड़ी चलती रहनी चाहिए, यही नजरिया था। वक्त बदला, टेस्ट बदला और बदल गया नजरिया। मोटरसाइकिलों के साथ जिंदगी की रफ्तार बढ़ गई। अब सौ किमी की यात्रा दस मिनट में करने की तीव्रता थी। हांफे मारती जिंदगी स्कूटर को टरकाने लगी। मोटरसाइकिल स्कूटर की जगह लेने लगी। स्टाइल, मॉडल और तेजी के आगे स्कूटर घुटने टेकने लगे। लेकिन मोटरसाइकिलों में वह ब्रांड वैल्यु नजर नहीं आ रहा, जिससे एक मिडिल वर्ग की खास तस्वीर उभरे। मोटरसाइकिल तो हर स्तर का आदमी रख रहा है। उसमें उस सोबरनेस को ढूंढ़े जगह नहीं मिलती, जिसे हम खोजते हैं। जब इतिहास लिखा जाएगा, तो मारुति की तरह बजाज स्कूटर भी अपना खास स्थान रखा करेगा। यकीं मानिए, आज भी बजाज स्कूटर न जाने कितने लोगों की सवारी है और दस सालों तक रहेगी। दो दशक बीता कर प्रौढ़ावस्था की ओर बढ़े लोगों के लिए आज भी बजाज स्कूटर जीवन का अंग है। उसे वे बदल नहीं सकते। जिंदगी की अंतिम गाड़ी तक उसे खींचते रहेंगे। इतना तो तय है कि बजाज स्कूटर का जाना संस्कृति और संस्कारों में बदलाव की ओर इंगित करता है।
Sunday, December 13, 2009
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5 comments:
बड़ी पुरानी पुरानी यादें, हमारी पहलॊ स्कूटर..हमारा बजाज...निश्चित एक संपूर्ण बदलाव है इसका जाना!!
बजाज स्कूटर का जाना तो दुखद है किन्तु नये उपक्रम लगातार आ रहे है।
बजाज स्कूटर चला गया ! मेरे एक मित्र सिसक पड़े । बचपन में उन्होंने एक सपना देखा था-बजाज स्कूटर से चलने का । बाद में स्कूटर आया तो रो पड़े - अब गया तो रो पड़े ।
बजाज ने संवेदना को छुआ - यह बात भी है । आपने सही कहा - "एक बजाज स्कूटर के साथ फैमिली कंपलीट नजर आती थी। "
पिछली यादें तो मधुर होती ही हैं हमेशा.
मैने अभी तक अपनी बजाज स्कूटर को जीवित रखा है ..आपने प्रेरित किया है उस स्कूटर पर एक पोस्ट अवश्य लिखूंगा ।
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