Thursday, January 7, 2010
आपके लिए कौन महत्वपूर्ण है?
आज विनीत का लेख पढ़ा। मन भावुक हो गया। कमेंट भी दे दिया, लेकिन मेरा मन एक अंतरद्वंद्व से जूझ रहा है। मैं किसे प्रथम स्थान दूं। मां, बाप या गुरु को। तीनों ही पूजनीय हैं। तीनों का ही जीवन में महत्व दिखता है। मां की ममता, कभी बुरा नहीं बनने देती, लेकिन बाप भविष्य के लिए बेटे या बेटी के प्रति कठोर रुख अपनाये रखते हैं। जब जिंदगी को पटरी पर लाने की जरूरत होती है, तो जिस ठोस मजबूत इस्पात के सहारे की आवश्यकता महसूस होती है, वह पापा के मजबूत इरादे और उनके द्वारा दी गयी उचित सलाह-सहयोग के रूप में मिलती है। लेकिन घर से अलग जिंदगी के दूसरे मोड़ पर, करियर के रास्ते में गुरु ज्यादा महत्वपूर्ण दिखते हैं। रोजी-रोटी की जुगाड़ के समय ऐसे व्यक्ति की जरूरत महसूस होती है, जो ये बता सकें कि अमुक रास्ता सही है या गलत। माता-पिता जो नींव डाल जाते हैं, उसे मजबूत करने की प्रक्रिया में यही लोग सहयोग देते हैं। ऐसे में किसे महत्व दें या नहीं दें, यही अंतरद्वंद्व है। यही द्वंद्व है, जो हमेशा तुलना करने से डराती है। आंखें बंद करने पर अनगिनत जिंदगी के प्रसंद गुजर जाते हैं। उसमें कोई झन्नाटेदार थप्पड़ याद आता है, तो कोई डांट। लेकिन वे भटकते दौर में संभालने की नीयत से होते हैं। हम सौभाग्यशाली हैं कि हमारे मां-बाप को हमारे लिये समय देने का मौका मिला। आज तो कई मां-बाप अपने बच्चे को समय नहीं दे पा रहे। ये अहसास क्या उनके अंदर जिंदा रहेगी, जिसके सहारे हम कम से कम ये लेख लिख डाल रहे हैं। बड़ा संवेदनशील मामला है। मेरे लिये तो मां-बाप और गुरु तीनों ही महत्वपर्ण हैं। आपके लिए कौन महत्वपूर्ण है?
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3 comments:
वाकई में अन्तर्द्वन्द तो गहरा है.
पढ़कर चिंतनीय हो गया,
सभी अपने अपने जगह पर महत्वपूर्ण हैं, तुलना तो हो ही नहीं सकती.
ठीक कह रहे हैं रजनीश. तीनों की तुलना नहीं की जा सकती. तीनों के बिना जीवन की गाडी सुचारू नहीं चल सकती.
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