जब जिंदगी दूर से बुलाती रहे
हौले से थपथपाती रहे
आप दूर से अनजान बनकर
चलते दूर निकल जाते हो
क्योंकि जिंदगी... जिंदगी नहीं लगती
कुछ और लगती है...
जब पास थी, तो समझने की फुर्सत नहीं थी
अब दूर है तो पास जाने की हिम्मत नहीं
जिंदगी बुला रही है..
तो पास जाओ
गले लगाओ
थपथपाओ
क्योंकि ये है छोटी सी़..
कब गुजर जाएगी, पता नहीं...
और तुम खाली आसमान में उड़ती चिंड़ियों के झुंड में
फिर तलाशते मिल जाओगे
जिंदगी बुला रही है...
जाओ...
हौले से थपथपाओ..
Monday, January 11, 2010
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गांव की कहानी, मनोरंजन जी की जुबानी
अमर उजाला में लेख..
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3 comments:
पते की बात कही है.
waah ...........kya baat kahi hai.
जिन्दगी तो ऐसी ही होती है..बेहतरीन!१
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