जिंदगी में अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग किरदार मिलते हैं। एकदम अलग। नैन-नक्श, बात व्यवहार सब चीज में। ईश्वर जब ऊपर कंप्यूटर में रचना करने के लिए बैठते होंगे, तो नमूनों को बनाने के लिए किस पैमाने का इस्तेमाल करते होंगे, जरा सोचिये। उसमें से कोई किरदार ऐसा निकल जाता है, जो खुद के ईश्वर के करीब या ईश्वर होने का दावा करता है। यहां तो एक सामान्य वस्तुओं के निर्माण में इतनी पेंच है, तो वहां ईश्वर के दरबार में न जाने कितनी होंगी। ईश्वर का प्रबंधन कुछ ऐसा है कि उसमें सबकुछ फिट मालूम पड़ता है। तभी तो कोई समस्या आयी कि नहीं लोग कह उठते हैं-ऊपरवाले की मर्जी। ऊपरवाला। उसके बनाये किरदार में हम भी हैं। एक बात है कि उसके बनाये हर किरदार में कुछ विशेष है। उस विशेषता की पहचान नहीं हो पाती। लोग अपने से ज्यादा दूसरे की विशेषता लेकर परेशान रहते हैं। ईश्वर ने फीडिंग करते समय परेशानी नाम का वायरस जानबूझ कर लगता है छोड़ दिया होगा। नहीं तो, सबकुछ इतना परफेक्ट लगता है कि उनको कोई याद ही नहीं करता। इसलिए अपनी जरूरत को बनाये रखने के लिए ऊपरवाले ने एक परेशानी नामक वायरस बनाया और छोड़ दिया। कभी-कभी तो ये वायरस इतना प्रबल हो जाता है कि लोग गड़बड़ा जाते हैं। वैसे आदमी ने इस मामले में अलग ये कर दिखाया है कि हर चीज या विषय का एक विभाग बना डाला है। इसलिए कम से कम जानकारी के मामले में ईश्वर के करीब होने का अहसास उसे होने लगता है। जो भी हो, ईश्वर की हर रचना प्रभावित करती है। जिंदगी में लेकिन कभी-कभी ऐसा लगता है कि ईश्वर ने किरदार बनाने के दौरान नाइंसाफी भी कर डाली। कई उदाहरण हैं। वैसे में उनसे सामने सवाल करने की इच्छा होती है कि आपने ऐसा क्यों किया?
Sunday, January 17, 2010
ईश्वर, किरदार और परेशानी
जिंदगी में अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग किरदार मिलते हैं। एकदम अलग। नैन-नक्श, बात व्यवहार सब चीज में। ईश्वर जब ऊपर कंप्यूटर में रचना करने के लिए बैठते होंगे, तो नमूनों को बनाने के लिए किस पैमाने का इस्तेमाल करते होंगे, जरा सोचिये। उसमें से कोई किरदार ऐसा निकल जाता है, जो खुद के ईश्वर के करीब या ईश्वर होने का दावा करता है। यहां तो एक सामान्य वस्तुओं के निर्माण में इतनी पेंच है, तो वहां ईश्वर के दरबार में न जाने कितनी होंगी। ईश्वर का प्रबंधन कुछ ऐसा है कि उसमें सबकुछ फिट मालूम पड़ता है। तभी तो कोई समस्या आयी कि नहीं लोग कह उठते हैं-ऊपरवाले की मर्जी। ऊपरवाला। उसके बनाये किरदार में हम भी हैं। एक बात है कि उसके बनाये हर किरदार में कुछ विशेष है। उस विशेषता की पहचान नहीं हो पाती। लोग अपने से ज्यादा दूसरे की विशेषता लेकर परेशान रहते हैं। ईश्वर ने फीडिंग करते समय परेशानी नाम का वायरस जानबूझ कर लगता है छोड़ दिया होगा। नहीं तो, सबकुछ इतना परफेक्ट लगता है कि उनको कोई याद ही नहीं करता। इसलिए अपनी जरूरत को बनाये रखने के लिए ऊपरवाले ने एक परेशानी नामक वायरस बनाया और छोड़ दिया। कभी-कभी तो ये वायरस इतना प्रबल हो जाता है कि लोग गड़बड़ा जाते हैं। वैसे आदमी ने इस मामले में अलग ये कर दिखाया है कि हर चीज या विषय का एक विभाग बना डाला है। इसलिए कम से कम जानकारी के मामले में ईश्वर के करीब होने का अहसास उसे होने लगता है। जो भी हो, ईश्वर की हर रचना प्रभावित करती है। जिंदगी में लेकिन कभी-कभी ऐसा लगता है कि ईश्वर ने किरदार बनाने के दौरान नाइंसाफी भी कर डाली। कई उदाहरण हैं। वैसे में उनसे सामने सवाल करने की इच्छा होती है कि आपने ऐसा क्यों किया?
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
2 comments:
सचमुच ईश्वर से पूछने की इच्छा होती है कि उसने ऐसा क्यूं किया .. इसलिए तो ईश्वर दर्शन ही नहीं देते लोगों को .. इतनों को वे स्ंतुष्ट कैसे करें ??
ईश्वर का मामला तो बिल्कुल ही अनूठा है.
Post a Comment