Monday, April 19, 2010
देख तेरे संसार की हालत क्या हो गयी भगवान
आज से २०-३० साल के बाद बूढ़ों की संख्या ज्यादा हो जाएगी। अभी जो जन्म दर वह पहले की अपेक्षा कम हो गयी है। यानी जनसंख्या कम होने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। जब भी पेंशन प्लान के बारे में सुनता हूं, तो सोचता हूं कि क्या हमें इस ओर पहल करनी चाहिए। अपनी सुरक्षा के लिए खुद तैयारी करनी होगी। कुछ भी कहिये,लेकिन एक सुरक्षित भविष्य को लेकर संशय है। जब युवा कम होंगे, बूढ़े ज्यादा होंगे, तो कैसा समीकरण बनेगा। लोग कैसा व्यवहार करेंगे। कई विकसित देशों में ज्यादा से ज्यादा बच्चे पैदा करने की अपील की जा रही है। आबादी घट रही है, युवा करियर को महत्व देते हैं। लड़कियों की संख्या कम हो रही है। लड़कों की ज्यादा। अहमदाबाद मेंकूड़ेदान में नष्ट किये गये कन्या भूण मिले हैं। लोग लड़कियां नहीं चाहते। ये चाहत, जो अमानवीय है, सभ्यता को किस कगार पर लाकर छोड़ेगा, सोचिये। परफेक्ट लाइफ की चाह में देर से शादी किये जाने के बाद भी परफेक्ट लाइफ मिलती है, ये बात मेरे जेहन में हमेशा उठती रहती है। सामाजिक चिंतक जिस हम दो हमारे दो की शैली को दोहराते रहे, वह अब भारी पड़नेवाला है। अब तो हम दो और सिर्फ हम दो, ही चल रहा है। रिश्ते बदल रहे हैं। रिश्तों में भी विदेशों में शायद असली पिता की पहचान के लिए डीएनए टेस्ट तक का सहारा लेना पड़ रहा है। गजब हो रहा है, भाई। महंगा होता जा रहा जीवन भी रिश्तों पर भारी पड़ रहा है। अब वास्तव में डर लगता है। ये कैसी दुनिया होती जा रही है। ये गीत रह-रह कर जुबां पर आ जाता है... देख तेरे संसार की हालत क्या हो गयी भगवान, कितना बदल गया इंसान....।
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1 comment:
कितना बदल गया इंसान (?)
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