Thursday, February 10, 2011

गेम्स के बहाने रांची की तकदीर और तस्वीर दोनों ही बदल रही

चलिए बताते चलें कि रांची में नेशनल गेम्स होने जा रहा है. गेम्स जैसे भी हो, जो भी जीते. यहां बताने का मकसद ये है कि इस गेम्स के बहाने रांची की तकदीर और तस्वीर दोनों ही बदल रही है. रांची के चौक पर पहुंचने पर रांची ट्रेफिक पुलिस के स्मार्ट बन चुके जवानों की फुर्ती आपको खुद ब खुद अनुशासित कर देगी. पहले की रांची से जो लोग रूबरू होंगे, वे लोग अगर रांची आएं, तो उन्हें यहां की फिजा बदली-बदली सी लगेगी.
 

रांची की  ट्रैफिक भी काफी बेहतर हो गयी है. जाम नहीं लग रहा. सड़कें खाली-खाली सी नजर आती हैं. यहां से कुछ दूरी पर होटवार में बने खेलगांव में जैसा इंफ्रास्ट्रक्चर नजर आ रहा है, उससे आनेवाले समय में कम से कम झारखंड के स्पोर्ट्स को फायदा ही फायदा होगा. एक बात जो सबसे बड़ी है, वह ये है कि फिनांसियल और टाइम मैनेजमेंट का जो मामला है, उसमें हमारा देश और हमारे लोग काफी पीछे हैं. हम लोग किसी भी काम को समय पर पूरा नहीं कर पाते हैं. इसी खेल को अगर २००९ तक में पूरा कर लिया जाता है, तो हम लोग दो साल आगे रहते.

हमारे जिस प्लेयर ने भी कुछ भी कर दिखाया है, तो उन्होंने उसे व्यक्तिगत स्तर पर कोशिश से पाया है. उसमें हमारी सरकार की ओर से दी गयी सहायता की कम से कम भूमिका रही है. ऐसे में जब कोई सफलता मिलती है, तो हमारे स्पोर्ट्स अफसर उसी के नाम पर गुलाल उड़ाने लगते हैं. ऐसे में पूरा मामला मजाकिया लगने लगता है. ज्यादा दिन नहीं हुआ है, जब झारखंड में हवा में तैराकी कराने के मामले ने झारखंड को पूरी दुनिया में हंसी का पात्र बना दिया था. वैसे छउआ, नेशनल गेम्स का मस्कट, गजब का जादू ढा रहा है. उम्मीद है कि कल की ओपनिंग सेरमनी बेहतर होगी.

2 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

खेल के बहाने ही तस्वीर बदले देश की।

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

पहले से ही बधाई और शुभकामनायें..

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