कल के वर्ल्ड कप फाइनल को लेकर मसल्स टाइट हो रहे हैं. जोश शायद उतना नहीं हो, लेकिन मीडिया इसे कुछ हद तक इज्जतदार हेडिंग देते हुए बयानबाजी कर रहा है. वैसे हमारा मिजाज कुछ अलग किस्म का है. कोई जीते-हारे, उससे कोई अपने को फर्क नहीं पड़नेवाला. सबसे ज्यादा फर्क इससे पड़नेवाला है कि किस अंदाज में हारते हैं या जीतते हैं. अगर एकतरफा जीत होती है, तो वो भी गलत होगा और एकतरफा हार, तो वो भी गलत. जीतना है, तो अंतिम पल तक बाजी के लिए लड़ते रहना होगा. जब तक ये जज्बा टीम इंडिया नहीं ला पाएगा, जीतना मुश्किल है.
श्रीलंका से कोलकाता में मिली हार हमें याद है. हमें लगता है कि श्रीलंका का हौव्वा सर पर जरूर चढ़ा हुआ है. साथ ही हमारी जीत का नशा भी फट गया है. हम जानते हैं कि लंका फतह उतनी आसान नहीं होगी. टीम के ग्यारह हनुमानों को फिर से जामवंत की जरूर पड़ेगी, जो उन्हें उनकी आंतरिक शक्ति की पहचान कराए. वैसे रांची से होने के कारण धौनी हमेशा से हमारे लिये कुछ खास रहे हैं. कैप्टन कूल की रणनीति ने सबके मुंह बंद कर दिए. नेहरा को लेकर उन पर चाहे जितनी भी उंगली उठी हो, लेकिन नेहरा की कामयाबी ने हम लोगों का उन पर भरोसा बढ़ा दिया है. कैप्टन कूल ने भले ही बल्लेबाजी से जादू न दिखाया हो, लेकिन उनका दिमाग बोल रहा है. हर रणनीति दुश्मनों पर भारी पड़ रही है.
रांची सिटी में पाक फतह के दिन रात में जो दीवानगी का आलम था, उसे हम भी भूल नहीं सकते हैं. ये सच है कि हम अब हार नहीं स्वीकार कर सकते. लेकिन ये सोच भी खतरनाक है. ये अफीम के नशे की तरह है. जो बार-बार चाहिए. अगर नहीं मिलेगी, तो हम सब पागल हो जाएंगे. हमें हमारी दीवानगी ने ही कुछ इस हद तक कामयाबी दिलायी है कि १९८३ जैसी जीत का सपना संजोये बैठे हैं. बस अब कल के मैच पर है निगाह..
श्रीलंका से कोलकाता में मिली हार हमें याद है. हमें लगता है कि श्रीलंका का हौव्वा सर पर जरूर चढ़ा हुआ है. साथ ही हमारी जीत का नशा भी फट गया है. हम जानते हैं कि लंका फतह उतनी आसान नहीं होगी. टीम के ग्यारह हनुमानों को फिर से जामवंत की जरूर पड़ेगी, जो उन्हें उनकी आंतरिक शक्ति की पहचान कराए. वैसे रांची से होने के कारण धौनी हमेशा से हमारे लिये कुछ खास रहे हैं. कैप्टन कूल की रणनीति ने सबके मुंह बंद कर दिए. नेहरा को लेकर उन पर चाहे जितनी भी उंगली उठी हो, लेकिन नेहरा की कामयाबी ने हम लोगों का उन पर भरोसा बढ़ा दिया है. कैप्टन कूल ने भले ही बल्लेबाजी से जादू न दिखाया हो, लेकिन उनका दिमाग बोल रहा है. हर रणनीति दुश्मनों पर भारी पड़ रही है.
पाक से मैच जीतने के बाद रांची के मेन रोड में कुछ इस तरह उमड़ी भीड़ |
2 comments:
ये सब बाजारू रणनीति है... विज्ञापनों पर जो अरबों रुपये फूंका जायेगा वह किसकी जेब से वसूला जायेगा.
कलकत्ता में तो पिच बहुत खराब हो गयी थी।
Post a Comment