देखिए ये पोस्ट हिट होगी. क्यों? क्योंकि ये पूनम पांडेय पर होगी. अगर आप नेट सेवी होंगे, तो पूनम पांडे के बारे में उतना ही जानते होंगे, जितना बहल बहनों के बारे में. ऐसा कुछ पूनम जी ने अपने दिल की हकीकत बयां की, सारे लोग तड़प उठे. हमें याद है कि लालू जी ने एक बारे कहा था कि बिहार की सड़कें हेमामालिनी के गाल की तरह हो जाएंगी. उस बयान के बाद लालू जी की टीआरपी कुछ इस कदर उछली कि मीडिया वाले पगला गए.लालू जी के साथ हेमामालिनी की फोटो भी लगती थी. पेज भी अच्छा लगता था.
इधर धौनी के अंतिम छक्के ने वर्ल्ड कप जिताया, तो उसके बाद पूनम जी सीन से गायब हो गयीं. सस्पेंस क्रिएट कर दिया. ये भी वर्ल्ड कप के इतिहास में दर्ज हो गया. हम सोचते हैं कि हमारी सोसाइटी उन चीजों को ज्यादा इम्पोर्टेंस देती है, जो पूरी तरह नंगई की हद को पार करता रहता है. कल की तस्वीर देखी मटुकनाथ जी दंडवत करते हुए कुलाधिपति के पास जा रहे थे, लेकिन उन्हें रोक दिया गया. तो बात करते हैं पूनम पांडेय जी की. पूनम पांडेय ने एक टेक्निकल फंडा बीसीसीआई की अनुमति का लगा दिया. अब लोग उन्हें देखने के लिए बेकरार हैं. फेसबुक पर स्टेटस में लगातार सवाल दागे जा रहे हैं.
पूनम पांडेय की लाइफ की कहानी हम नहीं जानना चाहते, लेकिन हमारे देश में हिट होने के फार्मूले के जिस फंडा को अपनाया जा रहा है, वो हमारे संस्कृति के रक्षकों के लिए बढ़िया मुद्दा है. आज कल ये लोग भी शांत हैं. ये बाजारवाद की हवा है या कुछ और, पता नहीं. हम पाते हैं कि हमारे आसपास पर १५ मिनट सेलिब्रिटी बनने के लिए होड़ सी मची है. कई लोगों को छपास की भयंकर बीमारी लगी रहती है. वे इसके लिए रात-दिन मेहनत भी करते रहते हैं. फिर जब अन्ना की बातें होती हैं, तो यहां भी डर लगता है. लोगों को लगता है कि यहां चिल्लाने भर से करप्शन खत्म हो जाएगा. हम कहते हैं कि मानसिक दिवालिएपन को आप जब तक दूर नहीं करेंगे, करप्शन खत्म नहीं होगा. जब तक सेटिंग करने के तमाम टेक्निक इस दुनिया के तथाकथित धुर्त अपनाते रहेंगे, तब तक करप्शन रहेगा. देखिए अन्ना का मूवमेंट भी धीरे-धीरे दम तोड़ देगा. क्योंकि मीडिया के कारण ये भी बस १५ मिनट सेलिब्रिटी ही बने हैं. रोज-रोज की जिंदगी की किचकिच को लेकर कौन जंतर-मंतर पर आंदोलन कर रहा है, कोई नहीं? इसलिए पूनम पांडेय सरीखे लोग इस बात को अपने फेवर में यूज करते हैं. उन्हें इसकी कोई परवाह नहीं कि सोसाइटी में उनकी क्या इमेज होगी. हद तो तब है, जब पूनम पांडेय जी को न्यूज लिस्ट में वेबसाइट पर भी टाप पर रखा जा रहा है.
मामला काफी पेचीदा है. बाजारवाद हावी है. और इस बाजार में जो बिक रहा है, उसे ज्यादा इम्पोर्टेंस मिलता है. इस बाजारवाद को खत्म करो, तभी कुछ बनेगा. पूनम जी भी कुछ तो एथिक्स का ख्याल करते हुए अब अपने को कंट्रोल करेंगी.
2 comments:
एक खबरिया चैनल ने इस हरकत को पूनम की क्रिकेट के प्रति दीवानगी बताया.. अब पूनम जी कह रही हैं कि परमीशन नहीं मिल रही. जरूरत क्या है. घर पर शूट करें और चैनल को दे दें. सबकी टीआरपी बढ़ जायेगी...
जैसी चीजों को बढ़ावा देता है समाज, मीडिया वही दिखाने लगता है।
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