चलिए धीरे-धीरे नेशनल गेम्स के चार दिन बीत चले. नेशनल गेम्स का जलवा बरकरार है. शहर में बूटी मोड़ से होते हुए आप जब होटवार की ओर खेलगांव में प्रवेश करेंगे, तो आपको जिस विशाल आकार से रूबरू होना पड़ेगा, वह इस बात का संकेत दे जाता है कि झारखंड के प्लेयर्स सुविधाओं के लिए नहीं तरसेंगे. उन्हें अपनी स्पोर्टिंग स्किल को सुधारने के लिए पूरा ओपेन स्पेस मिलेगा. यहां फ्राइडे को वैसे ही मेगा स्पोर्ट्स कांप्लेक्स जाने की इच्छा हुई. वहां जाने पर स्विमिंग काम्पटीशन में प्लेयर्स को भाग लेते देखकर ये जरूर लगा कि हमारे स्टेट में इस नेशनल गेम्स के बहाने स्पोर्ट्स के लिए बेहतर माहौल बनने लगा है. छउआ का मन मोहनेवाला रूप आपको कुछ देर के लिए उसे निहारने को जरूर मजबूर करेंगे. स्कूली बच्चों के लिए कम से कम मेगा स्पोर्टिंग कांप्लेक्स किसी टूरिस्ट स्पाट से कम नहीं है. एक लाइन से बच्चों को स्पोर्टिंग इवेंट देखने के लिए आते देखना ये बता जाता है कि आनेवाले समय में इन्हीं में से कोई हमारा और देश का नाम चैंपियन बनकर रोशन करेंगे. एक बात सोचता हूं कि इन घोटालों के बीच जब इतने बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर को बनाया जा सकता है, तो अगर दिए गए पैसे का सही तरीके से इस्तेमाल हो, तो इंटरनेशनल लेवल को क्यों नहीं छूएं. हमारे बीच से कोई सानिया, बिंद्रा या दीपिका निकलती है, तो हम पीठ थपथपाते हैं. लेकिन ये सारी उपलब्धियां सरकारी सहायता की अपेक्षा व्यक्तिगत प्रयास का नतीजा ज्यादा होता है.अगर सही तरीके से पैसे का योजनाबद्ध इस्तेमाल हो, तो इंटरनेशनल चैंपियंस की फौज खड़ी की जा सकती है.
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3 comments:
खेल गाँव के सुन्दर छायाचित्र प्रस्तुत
करने के लिए अत्यंत आभार !
बहुत अच्छा लग रहा है देखकर.
जहाँ भी होते हैं, वहाँ पर सुविधायें अच्छी हो जाती हैं।
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